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शनिवार, 30 अप्रैल 2016

फुरसत के दो पल

Furasat Ke Do Pal in Hindi

आज कल हम सभी को क्या हो गया है  ? हम सभी किस अंधी दौड़ में शामिल होते जा रहे हैं  ? हमारा सुबह उठने के बाद सिर्फ एक ही लक्ष्य हो गया है- कामयाबी और पैसा कमाना । पर क्या आपने कभी ये सोचा है कि जब हम सभी जीवन के ऐसे मोड़ पर पहुँचेंगे, जब हमें ये दोनों चीजें हासिल तो हो गई होंगी तो  फिर  हमें याद आएंगे हमारे वो बीते हुए अनमोल पल, जो हमने यूू  ही  भाग -दौड़ में गवां दिए और जब अपने बच्चों को अपनी Life Enjoy करते देखेंगे तो हमारा दिल खुद को क्या माफ़  कर   सकेगा ?

हमारे चेहरे  की सिलवटे हमसे सवाल करेंगी कि   हमने खुद के खुशियों का गला क्यों घोट दिया  ? क्या वो लम्हे हमें फिर से कोई जीने को दे सकता है  ? नहीं ना ! ये हम सभी जानते व मानते है कि कही हुई बात और बीता  हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। तो क्या अपने और अपने दिल से अजीज लोगो के साथ हम सही कर रहे हैं ? अब कौन  सा समय निकल गया है इस भाग-दौड़  की Life में कुछ    मीठे पल  हमारे उन अपनों  के नाम कर दीजिये जिन्होंने अपने जीवन को हमारे लिए  समर्पित किया है।

बुधवार, 27 अप्रैल 2016

खुल कर जिओ


ऐसा हमारे साथ अक्सर होता है  कि हम  सामने वाले की कही बातों को मन से लगा लेते हैं और वो बातें हमारे मन पर इस प्रकार हावी  जाती हैं कि उनसे बाहर निकल पाना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। मैंने भी अपनी इसी कमजोरी के कारण न जाने कितने वर्षों तक खुद से संघर्ष किया है मगर आज मैं  लोगों के विचारों से खुद के मन को आहत नहीं होने देती हूँ।

 जब भी कोई ऐसे  व्यक्ति का विचार जो मेरे मन को दुखी करता है तो मैं  स्वतः ही उससे बाहर  निकलने का प्रयास करती हूँ और मैं उसमे कामयाब भी हो जाती हूँ। सच मानिये मेरे पास ऐसा कोई भी नहीं है, जिसके साथ मैं  अपनी परेशानियों को बाँट  सकूँ। मगर मैंने जीवन से सीखा  है कि जब भी बुरे विचार  हावी हो तो उनको तुरंत मन से झटक देना चाहिए। और नकारात्मक विचार वाले लोगों से दूरी बनाकर रखना चाहिए। ऐसा सभी  के साथ होता होगा। जब हमें कोई दिल को चुभने वाली बात कहता है तो हमारा मन  उदास हो जाता है।

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

उम्मीद बेटी की

Ummeed Beti Ki in Hindi

"माँ" एक ऐसा शब्द है,जो  बच्चे के मुख से निकलने वाला पहला शब्द होता है। उसके लिए अपनत्व का पहला अहसास, जिसके पास वो  जीवन को सुरक्षित समझता है।  इस रिश्ते के अनुभव से बच्चा प्यार जैसी भावना का अहसास करता  है। और माँ की बच्चे के प्रति निस्वार्थ प्रेम की अनुभूति हमें यही शिक्षा देती  है कि जब हम किसी को दुनिया में लाने  की वजह होते है तो उसके प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ और ज्यादा बढ़ जाती हैं। कौन सा  ऐसा शख्स होगा जो अपनी माँ को प्यार नहीं करता होगा  ?

मैंने माँ पर पहले एक स्टोरी आप सभी के साथ शेयर की थी, जो माँ के  रिश्ते का एक कड़वा अनुभव थी। पर हर माँ ऐसी नहीं होती है। माँ का प्यार एक ऐसे फूल के समान होता है, जो  जहाँ भी खिला होता है, वहाँ का वातावरण शुद्ध व सुगंधमयी कर देता है ।  कभी कभी जीवन की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हमें अपने परिवार की खुशियों के लिए, उनको अच्छा जीवन देने के लिए अपने माता -पिता से दूर हमें अपने परिवार को साथ लेकर रहना मज़बूरी बन जाती है। पर हमें अपने माता पिता के प्रति अपने कर्तव्यों को हमेशा याद रखना चाहिए।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

नज़रिया

Nazaria in Hindi

मेरी शादी को कई वर्ष बीत गए हैं।  पर जब मैं अपने कॉलेज के  दिनों के बारे में सोचती हूँ ,तो मन में जो तस्वीर सामने आती है, वो आज भी वैसी की वैसी ही है। हम बदल गए। हमारा रहन -सहन ,पहनावा, यहाँ तक कि  हमारे खान -पान में भी काफी परिवर्तन आ गया है। मगर आज जो नहीं बदला वो है- लोगों की आदतें। उस वक्त के कुछ  लड़कों का काम था कि उनको जब भी समय मिलता, वे गली-नुक्क्ड़ पर खड़े हो जाया करते थे। उस समय भी मुझे उन मनचले लड़कों की कमेंट पास करने की मानसिकता समझ में नहीं आती थी।  और आज भी जब ऐसी घटना के बारे में मैं अपने आस -पास सुनती हूँ  तो उन लड़को पर हंसी  भी आती है और गुस्सा भी। वो लड़के क्यों इस बात को नहीं समझते हैं कि उनके इस तरह के व्यवहार से सामने वाले पर क्या गुजरती होगी ? 

मुझे आज भी याद आता है, कॉलेज जाते समय, मैं  रास्ते में अपनी दोस्त के घर उसे साथ लेने के लिए जाती थी। उसके  घर तक जाने के लिए एक  गली पार  करनी होती थी । उसी गली में कुछ लड़कों  की टोली बैठा करती थी। मैं और मेरी दोस्त जब भी कॉलेज जाने के लिए निकलते थे ,तो वो ना जाने क्या उलटी -सीधी बातें बोलने लगते थे। हम दोनों उन लड़कों के इस व्यवहार से गली से गुजरने में बहुत ही असहज महसूस किया करते थे। आखिर उनको क्या आनंद आता था, ऐसा करते हुए। पर उनके ऐसे अभद्र व्यवहार से हमारे मन में उन लोगो की बहुत बुरी छवि बनती थी, जो उन लड़कों को शायद नहीं पता था। 

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

हमारे मददगार

Hamaare Madadgaar in Hindi

आजकल महंगाई की वजह से हर कोई परेशान है, चाहे वो किसी भी आय- वर्ग का क्यों ना हो। हर आय-वर्ग के परिवार का मुखिया परिवार के दायित्वों को अच्छी  तरह निभाने के लिए दिन रात लगा हुआ है। वो सदस्यों की जरूरतों को पूरी करते -करते परेशान  हो जाता है।  जरा सोचिये ! जिन घरों का चूल्हा रोज की कमाई से जलता हो तो इस बढ़ती महंगाई ने उन लोगों पर क्या प्रभाव डाला होगा ? गरीब घरों की अशिक्षित महिलायें अपने घरों को चलाने के लिए दूसरों के घरों का काम -काज करने के लिए कितनी मजबूर हो जाती हैं ? 

हमारे हेल्पर, जिनको हम अपने आराम  के खातिर  उनको  काम करने के लिए रखते हैं, वो कैसे अपने घर का काम और साथ में  हमारे जैसे ना जाने कितने घरों का काम करती हैं। वो इतना काम कैसे कर पाती हैं, सोच कर आश्चर्य होता है ! मेरे घर में भी एक हेल्पर आती हैं।  अपने पति के देहान्त हो जाने के बाद बच्चों के पालन -पोषण की जिम्मेदारी को अच्छे से निभाने  के लिए मज़बूरी वश ये काम करतीं हैं । कभी-कभी मैं ये सोचती हूँ कि  कितना कठिन काम है उनका ? वो  कार्य  जो हमारे  खुद के घर के होते हैं , हमें उनको  करने में कठिनाई  होती है। और हम अपने हेल्परों को वो सारे  काम चंद रूपये देकर अधिकारपूर्वक करवाते हैं।