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गुरुवार, 2 जून 2016

मिठास की कड़वाहट

Mithas ki Kadvahat in Hindi

क्या बात थी ? आज रामू बहुत खुश था। बहुत ही ज्यादा खुश। आज जीवन में पहली बार उसकी हाथों में मीठे ,शुद्ध देशी घी से बने पेड़ा का दोना जो  था,  जिसकी केसर और इलायची  खुशबू रामू के तन -बदन को महका रही थी। वह बस एक टक पेड़े के  दोने को देखे जा रहा था। तभी मालकिन की आवाज सुन कर रामू की तन्द्रा टूटी।  मालकिन ने  रामू से कहा," साहब ने  जो कागज दिया था, वो कहाँ है ?"। रामू  को  मालिक ने जो कागज दफ्तर से घर ले जाकर देने को कहा था, उसने उसे मालकिन के हाथों में पकड़ाते  हुए, वह  एक बार फिर से  पेड़ों की मिठास की दुनियां में खो गया। वह यही सोच रहा था कि ये पेड़े खाने में कितने स्वादिष्ट  होंगे।

तभी मालकिन ने रामू से कहा,"रामू ! बैठे क्यों हो ? खाओ ना। " मालकिन की बात सुन कर रामू को रहा न गया और उसने एक पेड़ा उठाकर मुंह में रख ही लिया। फिर  उस पेड़े की मिठास से रामू का रोम -रोम आनन्दित हो गया। एक पेड़ा खाने के बाद उसको अपने परिवार का ख्याल आया।  

मंगलवार, 24 मई 2016

धूप-छाँव

Dhoop-Chhav in Hindi

अपने जीवन में  प्रतिदिन हमने दिन -रात होते देखा होगा . बस हमारा मन भी इसी दिन -रात  की तरह ही है। कभी खुशियों का प्रकाश हमारे होठों  मुस्कराहट देता है, तो कभी गम के गहरे अंधियारे में हम कहीं खो जाते हैं। और जाने कब हमारे आँखों से आसूं छलक जाते हैं ? हमारा इन भावनाओं पर कोई वश नहीं होता है, ठीक उसी प्रकार जैसे कि  सूर्य उदय होने पर सूरज की किरणों को कोई धरती पर आने से कोई रोक नहीं सकता चाहे कितना भी घना कोहरा क्यों ना हो।

ये जीवन भी उसी प्रकार है इसमें परेशानियाँ ,सुख -दुःख, धूप छाव की तरह ही आते रहते हैं। जिन लोगो ने भी जन्म लिया है वो इन भावनाओं से अछूता नहीं रह सकता है। मैं ये मानती हूँ कि जीवन में कुछ परेशानियों का हल मिल पाना जल्दी सम्भव नहीं हो पता पर वो परेशानी भी तो हमेशा नहीं रहने वाली है। फिर कैसा घबराना  ? कैसी चिंता ? जीवन का निर्माण हुआ, तभी ये भावनाएं मन में उम्र के साथ स्वतः ही आ गई। जब ये भावना नहीं होगी तो सुख -दुःख की अनुभूति भी नहीं होगी ,फिर हमारा जीवन कैसा होगा जरा कल्पना कर के देखिये।