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शनिवार, 28 जनवरी 2017

डायरी के पन्नों से-4


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आजकल हम सभी अपने जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमारे पास टाइम की बहुत ही ज्यादा कमी है। इस भाग -दौड़ की जिन्दगी में, मेरे दिए हुए रोजमर्रा के  टिप्स को अपनाये और अपने जीवन की छोटी -छोटी मुश्किलों को चुटकियों में आसान बनाये।

-अंडे को फ्राई करते समय उसे थोड़ी हल्दी से कोट करें, आसानी से अंडे फ्राई  हो जायेंगे और उनका रंग भी निखर जायेगा। 

-कपडे में किसी प्रकार के दाग  लग जाये तो बिलकुल भी घबराएं नहीं, टूथ पेस्ट को दाग पर फैलाएं, फिर सामान्य तरीके से रगड़ कर धो लें। 

-किचन के डब्बे अक्सर चिकनाई लिए गन्दे हो जाते हैं, विनेगर या सिरके में कपड़े को भिगो कर डब्बे को पोछे, डब्बे आसानी से साफ हो जायेंगे। 

-पोछा के पानी में एक चम्मच नमक मिलाएँ, जिससे घर की सफाई के साथ -साथ नकारात्मक ऊर्जा की भी सफाई हो जाती है। 

-सेल को दो घण्टे फ्रिज में स्टोर करके इस्तेमाल में लाये, उसकी उम्र दुगनी हो जाती है। 



गुरुवार, 5 जनवरी 2017

अस्तित्व

Astitva in Hindi

आज मैं आप सभी के समक्ष ऐसी बातें रखना चाहती हूँ, जो बेहद ही संवेदनशील है, जिन पर रखे गए विचार शायद कुछ लोगों को पसंद ना आये। पर मैं अपनी बात इस विषय पर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपने विचार  रख रही हूँ, जिसे आप सभी को समझना और उसके भीतर छिपे विचार की गम्भीरता पर सही समय पर सार्थक कदम  उठाना,  बेहद जरूरी  है।

हर माता - पिता के लिए उसकी संतान अमूल्य वरदान होती है , जिसके जीवन को वह अपने हाथों से सजाते हैं व पूर्ण जिम्मेदारी के साथ उनका ख्याल रखते हैं। एक पल भी अपने आप से जुदा नहीं होने देते हैं। अपने संतान की छोटी से छोटी जरूरत को पूरा करना अपना उत्तरदायित्व समझते हैं और उनकी  बड़ी से बड़ी फरमाईश को पूरा करने में अपना जी जान लगा देते हैं। संतान के आँखों में एक आँसू का कतरा भी आये, ऐसा उन्हें गवारा नहीं होता।  यहाँ मैं आप सभी से पूछना चाहती हूँ  कि जिस संतान का हम पूर्ण रूप से ख्याल रखते हैं, क्या हम ऐसा व्यवहार करके उनके साथ धोखा नहीं कर रहे ?  क्या हमने इस बात को कभी सोचा है कि जिस दिन हम  अपनी संतान को छोड़ कर दुनियाँ से रुखसत होंगे, उस दिन क्या वही संतान अपना जीवन जीने में समर्थ हो सकेगी, अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकेगी ? जिस संतान को हम दुःखों की धूप से बचाकर रखते है, वह क्या हमारे ना रहने पर दुखों और मुश्किलों की धूप से ठण्डी छाँव  की तलाश करने में समर्थ हो पायेगी ? कभी नहीं।

शनिवार, 17 दिसंबर 2016

बेसहारा

Besahara in Hindi

एक महिला ब्लू साड़ी में कार से उतर कर बच्चों के  अनाथ आश्रम  में आई। वार्डेन ने महिला को देखते ही कहा," प्लीज, मिसेज़ भट्टाचार्या ! आप यहाँ मत आया करें।" उस महिला के हाथ में कुछ खिलौने व चॉकलेट थे,जो उसने वार्डेन को देते हुए, नमन से मिलने की बात की।  आखिर कौन था नमन ? जिससे मिलने वह महिला कार में आया करती थी और क्यों उस महिला को  वार्डेन, नमन नाम के बच्चे से मिलने नहीं देना चाहती थी ? आखिर क्या वजह थी ? पर  उस दिन महिला के बार-बार कहने पर , वार्डेन ने महिला को एक कापी दी, जो उस बच्चे की थी, जिसे पढ़ कर महिला के आँखों से आंसू छलक गए और वह  नमन से मिले बिना ही लौट गई।

उस कॉपी में लिखा था - "माँ ! आपने मुझे क्यों छोड़ दिया ? मुझे आपकी बहुत याद आती है।  माँ ! मुझे पता है कि मैं आपका बेटा नहीं हूँ, पर मेरी माँ तो आप ही थी, जिसके साथ मैं जीवन भर रहना चाहता था।  आप मुझसे मेरी कमी की वजह से नाराज हो, पर माँ ! आप ही बताओ, इसमें मेरा क्या दोष है ? मैं भी सबकी तरह बातें  करना चाहता हूँ। सबकी बातें  सुनना चाहता हूँ।  पर  माँ मुझे आपके विधाता ने सुनने व बोलने की शक्ति ही नहीं दी तो मैं क्या करूँ माँ ?  मुझे यह बात समझ में आ गई है कि आप मेरी कमी की वजह से मुझे यहाँ छोड़ गई हो। मेरा आपके  जीवन  और परिवार में कोई स्थान नहीं है। इस वास्तविकता को मैंने अब स्वीकार कर लिया है।  मैंने  इन अनाथ बच्चों को अब अपना परिवार बना लिया है। अब यही मेरा परिवार है। अब मुझे दुबारा अनाथ मत कर देना माँ।"

आखिर ऐसा क्या था, जिसने एक बच्चे की सोच को  अपने माँ के प्रति  इतना परिवर्तित कर दिया था ? इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए आइये पहले की कहानी को जानते है...