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रविवार, 4 अप्रैल 2021

मूल्य जिंदगी का !

MOOLYA JINDAGI KA STORY IN HINDI


 सौम्या सुबह-सुबह बहुत ही परेशान थी। उसने न ठीक से नाश्ता किया और ना ही किसी काम में उसका मन लग रहा था। वह कभी इधर तो कभी उधर टहल रही थी। उसकी मनोदशा देखकर कोई भी जान सकता था कि वह बहुत परेशान है। पर क्या था उसकी परेशानी का कारण ? उसे यूँ परेशान उसकी माँ हमेशा ही देखती थी, क्योंकि छोटी-छोटी बातों पर परेशान होना उसका स्वभाव ही बन गया था। पर इस बार उसकी दादी माँ गाँव से उसके घर उसके पास रहने आई थी। 


दादी से सौम्या की परेशानी देखी न गई और उन्होंने सौम्या को अपने पास बुलाया और अपनी गोद में सौम्या का सर  रखा। सौम्या ने अपनी परेशानी दादी से कह दी।  उसने बताया कि उसने दसवीं व बारहवीं कक्षा तो बहुत ही अच्छे नम्बर  से पास कर लिया पर बी.ए. फस्ट ईयर की परीक्षा में  उसे फेल होने का डर लग रहा हैै। उसने कहा कि अगर वह  फेल हो गई तो वह अपनी जान दे देगी और ऐसा कहकर वह रोने लगी। दादी माँ ने उसे ऐसे परेशान कभी नहीं देखा था। 


उन्होंने एक दम से कहा,‘‘तो फिर बेटा परिणाम का इन्तजार क्यूँ ? अभी दे दो अपनी जान, खतम कर दो अपनी जिन्दगी। अगर तुम्हें अपने परिणाम पर भरोसा नहीं है तो इन्तजार किस बात का ? पर क्या तुमने कभी सोचा है

सोमवार, 29 मार्च 2021

होली है !

HOLI HAI


सबसे पहले मैं अपने सभी मित्रों को होली की शुभकामनाएँ देना चाहती हूँ। कितनी खुशियों का त्यौहार है ये होली ! ये होली, ये रंग, ये रंग भरे चेहरे, मिठाईयाँ, गुलाल और ना जाने क्या-क्या ? हम सभी को न जाने कितनी खुशियाँ दे जाती हैं ये । अगर ये ना हो तो हमारी भागम-भाग भरी जिन्दगी में वक्त ही नहीं है कि हम खुद के लिए जी सकें। नहाना-धोना तो हम रोज ही करते हैं पर रंगो से सराबोर होने में जो आनन्द आता है, उसकी तो कोई तुलना ही नहीं है।




इसी बहाने हम ना जाने कितनी सुन्दर यादों को अपने जेहन में समेट लेते हैं, जो हमारे जीवन जीने की वजह होते हैं। इन रंगों का अर्थ ही यही है कि हम सब एक हो जायें। पर कुछ चेहरे ऐसे भी होते हैं, जो  रंग जाने के बाद भी अपने मन की मैल रुपी कालिमा को वैसे ही बनाये रखते हैं और इस खूबसूरत त्यौहार को अपनी बुरी हरकतों से बुरा और बदसूरत बना देते हैं। मैं ऐसे सभी लोगों से कहना चाहती हूँ कि किसी के जीवन में खुशियों के रंग भरिये, आँसू और दुःख के नहीं। यही होली त्यौहार का वास्तविक संदेश है।


आप सभी को रंगो के इस पर्व होली की एक बार फिर से हार्दिक शुभकामनाएँ।


Image:Google 

शनिवार, 20 मार्च 2021

तपिश की ठंडक

 

TAPISH KI THANDAK IN HINDI


मैं इस पोस्ट के द्वारा आप सभी के समक्ष एक बहुत महत्वपूर्ण टाॅपिक पर अपनी बात रखना चाहती हूँ , जिस पर हम सभी कभी ध्यान नहीं देते हैं या इस पर किसी के द्वारा कही गई बात अथवा सलाह शायद हमें अच्छी नहीं लगती है। हम सभी ने अपने बचपन में अपने माता-पिता को हमारी बहुत सारी महत्वपूर्ण माँगों के लिए अवश्य ही उन्हें न कहते पाया होगा, कभी दोस्तों की अच्छी चीजों को अपने पास भी होने की चाह में पिता के द्वारा मना कर देने से उन पर कभी हम क्रोधित भी हुए होंगे तो कभी दुखी। 


कभी उनकी  बिना वजह की रोक-टोक, तो कभी नाहक नाराजगी भी अपने ऊपर देखी होगी, जो हमें कभी पसन्द नहीं आई। माँ की डाँट में ‘फिक्र‘ और पिता के डाँट में ‘हमारे जीवन को सुन्दर और बेहतर बनाने की सीख‘ को हम हमेशा नजरअंदाज कर देते थे, पर उन बातों में हमारे लिए पूरे जीवन को मुश्किलों से लड़ने की जो सीख होती है, ये हम नहीं समझते हैं।


मैं अपने जीवन के तजुरबे से कह सकती हूँ कि हम सभी के माता-पिता ने हमारे लिए जो कुछ किया, हमें उसके लिए उन्हें दिल से धन्यवाद कहना चाहिए, ना कि उन्हें दोषी ठहराना चाहिए। 

गुरुवार, 11 मार्च 2021

सोमवार, 1 मार्च 2021

अंतर्मुखी

ANTARMUKHI IN HINDI


इस बात को हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। हमे आँख, नाक, मुख, हाथ-पैर और जुबान तो जन्म से मिल जाते है, बस उनके विकास और अनुपात में वृद्धि होती है। पर एक ऐसी चीज जो इस दुनिया में अनमोल है, जो हमें ईश्वर के द्वारा नहीं बल्कि अपने चित्त और विवेक से प्राप्त होती है - वो है हमारा स्वभाव,  हमारा सभी के साथ पेश आने का तरीका, जिससे उस व्यक्ति की पहचान, नाम से कहीं ज्यादा उसके बर्ताव से दूसरे व्यक्ति के मन मस्तिष्क में गहरी छाप छोड़ जाते हैं। जिसे हम 'सुव्यवहार' भी कह सकते हैं।


ऐसा वास्तविक में है और हम सभी ने देखा होगा कि किसी-किसी का स्वभाव होता है कि कुछ लोग अपने मन की बात को किसी के साथ सहजता से शेयर कर देते हैं और कुछ लोग ऐसे व्यवहार के भी होते हैं जो अपने भीतर अथाह बातों को सँजोकर रखते चले जाते हैं। जैसे मन ना हुआ स्टोर-रूम हो गया, जहाँ हम अपने पुराने सामानों को सहेज देते हैं। ऐसे व्यक्ति 'अंतर्मुखी' होते हैं, उनके भीतर की झिझक उनको किसी के सामने अपने दिल की बात रखने ही नहीं देती। उनके दिल में इतना डर समाया रहता है जिसकी वजह से वह अपने मन की बातें किसी से शेयर करना ही नहीं चाहते हैं। पर यहाँ मैं आप सभी से ये कहना चाहती हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति को यह बात समझना बहुत आवश्यक हैं कि अपने व्यवहार में सन्तुलन रखना हमारे ही वश में होता है। हमें ना तो अधिक 'अंतर्मुखी' होना चाहिए और ना ही बहुत अधिक 'बहिर्मुखी'।