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शुक्रवार, 14 मई 2021

विवेक

 

विवेक

हम सभी ने गाँधी जी के द्वारा कही ये बात सुनी व पढ़ी होगी कि अहिंसा  ही हमारा सच्चा धर्म होना  चाहिए। कोई अगर एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर देना चाहिए। मैं गाँधी जी के विचारों व उनके नजरिये को गलत नही ठहरा रही, क्योंकि गाँधी जी मेरे लिए भी पूजनीय हैं। पर मैं बस अपना नजरिया रख रही हूँ कि क्या ऐसा करने से कोई तीसरी बार हमें थप्पड़ नहीं मारेगा ? क्या गाँधी जी के अहिंसा के इस विचार में इतनी शक्ति है कि क्या हमारा ऐसा कार्य उस व्यक्ति के हृदय को परिवर्तित कर सकता है ?
 

परिधी हमेशा से अपने माँ की अच्छी व सच्ची बेटी थी। परिधी की माँ ने हमेशा ही उसे विनम्रता का पाठ पढ़ाया, उसे ही सुनकर वह बड़ी हुई थी। परिधी स्कूल से कालेज जाने लगी थी। एक दिन परिधी बेहद परेशान थी। सुबह से वह अपने कमरे सं बाहर भी नहीं आई थी। माँ ने परेशान होकर दरवाजे पर दस्तक दिया-“परिधी ! क्या बात है ? सुबह से ही तुम रुम में हो। कितना पढ़ाई करोगी ? बाहर आ जाओ। कुछ खा लो।” माँ को परेशान देख परिधी ने दरवाजा खोल दिया। परिधी की आँखें नम थीं। उसने  कहा, “माँ ! आप ने आज तक मुझे जो कुछ बताया  वह गलत बताया। माँ आप तो कहती थीं कि विनम्रता से पत्थर को भी पिघलाया जा सकता है। हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिये” और यह कहते हुए वह रोने लगी। 

गुरुवार, 6 मई 2021

कोरोना को हराना, हमनें है ठाना

 

कोरोना को हराना, हमनें है ठाना


जैसा कि हम सभी जानते हैं कि यह समय सभी के लिए कितना मुश्किलों भरा है, कोरोना जैसी महामारी के कारण किसी को पैसे की परेशानी है तो किसी को स्वास्थ्य की और कोई अपने परिवार के पास जाने के लिए दिन-रात मौत से लड़ाई करने को तैयार हैं तो कोई अपनों से दूर कहीं बेहद अकेला गुमसुम उदास  बैठने को मजबूर है। इस कोरोना ने सभी को दुःखी किया-क्या बच्चे, क्या बड़े और  क्या बुजुर्ग ?


पर अब समस्या आ गई है तो हम उसके सामने घुटने तो नहीं टेक सकते । हमारी लड़ाई उस न दिखने वाले दुश्मन से है और हम सब मिलकर उसे हराने की कोशिश करेंगे और हार नहीं मानेंगे। पर  ऐसा  हम कैसे कर सकते हैं ? ऐसा दुश्मन जो दिखता नहीं, जिसके हाथ नहीं, शरीर  नहीं, जिसे मार नहीं  सकते ।


तो दोस्तों ! इस दुश्मन को हम खुश रहकर, अपना  ख्याल रखकर, अपने आप  से प्यार करके, अपनी पुरानी संस्कृति का पालन कर, थोड़ी खुशियाँ बाँटकर इसे मुँह की खाने पर  मजबूर कर सकते  हैं।


आज मैं आप सभी से कुछ छोटी-छोटी सावधानियाँ और कुछ अनूठे प्रयोग रख रही हूँ , जिसे हम रोजमर्रा की जिन्दगी में शामिल कर लें तो इस दुश्मन से लड़ने के लिए एक योद्धा की तरह तैयार हो सकते हैं। 



रविवार, 25 अप्रैल 2021

नव-सृजन

 

NAV-SRIJAN IN HINDI

जब कोई हमें दर्द देता है, आहत करता है तो हमें ऐसा लगता है कि हमारे दिल में गाँठ सी बन गई है और गाँठ दिन-प्रतिदिन और भी मजबूत होती जाती है। यदि हम उसे नहीं खोलते हैं, उसे यूँ ही बना रहने देते है तो परेशानी बढ़ जाती है। यदि हम उस व्यक्ति को माफ कर दें तो हमें लगता है कि जैसे भूमि पर नये पुष्पों का सृजन हुआ और उन पुष्पों की कोमलता व सुन्दरता हमारे दिमाग व दिल को ठंडक पहुँचा रही हो। हम अपने भीतर एक नये ‘स्व’ का सृजन होते हुए पाते हैं, जो कुछ नया सोचता है, कुछ नया कर दिखाने की चाह रखता है, जो हमें दोबारा नयी उम्मीद देता है-खुद को महसूस करने की। 


यदि किसी की कही बात आपके मन को दुःख पहुँचा रही है और आपको लगता है कि वो आपका भला नहीं चाहता है, आपका शत्रु है तो ऐसी भावना आपके मन को विष से भरने का कार्य करती है, जो सिर्फ एक ही कार्य से ठीक हो सकती है कि उस इन्सान को माफ कर दिया जाये, जिसने आपको दुःख पहुँचाया है- पर पूरे हृदय से और पहचान करिये उन शक्तियों को जो ईश्वर ने जन्म के बाद निरन्तर  आपको प्रदान की है।