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शनिवार, 29 मई 2021

डायरी के पन्नों से-5


 जब हम अधिकांश समय घर में ही व्यतीत कर रहे होते हैं या फिर हमारे घर के सदस्य ‘वर्क फ्राम होम’ में व्यस्त होते हैं तो घर के छोटों व बड़ों से कभी कुछ तो कभी कुछ खाने की फरमाइश होती रहती है। आइये चलिए जानते हैं कि अपने चटोरे मन को शांत करने के लिए तथा अपने खाने का जायका व स्वाद बढ़ाने के लिए छोटी-छोटी किचन-टिप्स क्या हैं ? 


ये सारी टिप्स आपके बहुत ही काम  आने वाली हैं।  बस इन्हें एक बार आजमाकर देखिये -


- डोसे को क्रिस्पी बनाने के लिए घोल में नमक के साथ एक चुटकी चीनी भी मिलायें।


- नमकपारे के आटा या मैदा गूँघते समय उसके घी और नमक के साथ थोड़ी सी सूजी मिला दें तो नमकपारे बहुत स्वादिष्ट बनते हैं।


- पनीर की सब्जी बनाने जा रहे हैं तो पनीर को दो मिनट गर्म पानी में उबाल लें, इससे स्वाद बढ़ जायेगा।


- दही बड़े के बैटर में एक उबला आलू मिलाया जाये तो दही बड़े एकदम साफ्ट बनते हैं।


शुक्रवार, 14 मई 2021

विवेक

 

विवेक

हम सभी ने गाँधी जी के द्वारा कही ये बात सुनी व पढ़ी होगी कि अहिंसा  ही हमारा सच्चा धर्म होना  चाहिए। कोई अगर एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर देना चाहिए। मैं गाँधी जी के विचारों व उनके नजरिये को गलत नही ठहरा रही, क्योंकि गाँधी जी मेरे लिए भी पूजनीय हैं। पर मैं बस अपना नजरिया रख रही हूँ कि क्या ऐसा करने से कोई तीसरी बार हमें थप्पड़ नहीं मारेगा ? क्या गाँधी जी के अहिंसा के इस विचार में इतनी शक्ति है कि क्या हमारा ऐसा कार्य उस व्यक्ति के हृदय को परिवर्तित कर सकता है ?
 

परिधी हमेशा से अपने माँ की अच्छी व सच्ची बेटी थी। परिधी की माँ ने हमेशा ही उसे विनम्रता का पाठ पढ़ाया, उसे ही सुनकर वह बड़ी हुई थी। परिधी स्कूल से कालेज जाने लगी थी। एक दिन परिधी बेहद परेशान थी। सुबह से वह अपने कमरे सं बाहर भी नहीं आई थी। माँ ने परेशान होकर दरवाजे पर दस्तक दिया-“परिधी ! क्या बात है ? सुबह से ही तुम रुम में हो। कितना पढ़ाई करोगी ? बाहर आ जाओ। कुछ खा लो।” माँ को परेशान देख परिधी ने दरवाजा खोल दिया। परिधी की आँखें नम थीं। उसने  कहा, “माँ ! आप ने आज तक मुझे जो कुछ बताया  वह गलत बताया। माँ आप तो कहती थीं कि विनम्रता से पत्थर को भी पिघलाया जा सकता है। हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिये” और यह कहते हुए वह रोने लगी।