![AAKHIRI PADAV HINDI STORY part 2 - EK NAI DISHA AAKHIRI PADAV HINDI STORY part 2 - EK NAI DISHA](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3HEVzhN-YmTlH9JfSUbjK37Ss3QqKhO5qVbL_41PuluSzokLXY7yCLu3kH9XwDeunyOx_4n6Ny20Rhp94y4aZx5P-TzOE-_RegSmeDpTdx0gyuD9Q8kNu6nnc5_kfXc79lQXLdfXI908/w437-h328/AAKHIRI+PADAV+HINDI+STORY+part+2+-+EK+NAI+DISHA.webp)
अभी तक आप ने पढ़ा - आखिरी पड़ाव भाग एक ।
अब आगे ...
आपरेशन के लिए 10,000 डाॅलर की जरूरत है, ऐसी बात सुन सोनल ने अपने पति से कहा कि शुक्र है ! हमने बुआ का इन्श्योरेंस करवा लिया था, तो उसके पति ने उसे बताया कि बच्चे की भाग-दौड़ में उसके दिमाग से इन्श्योरेंस कराने की बात ही निकल गयी।
पर अब दोनों सोचने लगे कि 10,000 डाॅलर का इन्तजाम कहाँ से करें ? सोनल के पति ने बहुत जगह डाॅक्टरों से बात की, फिर एक अच्छी खबर मिली कि कोई डाॅक्टर 3000 डाॅलर में रानो के पैर का आपरेशन करने को तैयार था।
रानो का आपरेशन हो गया। रानो पूरी तरह स्वस्थ्य होने के बाद घर आ गई और जब उसने अपने पैर जमीन पर रखा तो उसके पैर सीधे पड़ने की बजाय एक पैर टेढ़ा पड़ रहा था। रानो ने अपना सर पकड़ लिया। वो समझ गई थी कि वो अब अपाहिज हो गई है, उसके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पर सोनल ने कहा- बुआ जी ! अब आप चल सकती हैं। ये क्या कम बड़ी बात है ! आप फिक्र ना करें। हम उसी डाॅक्टर से बात करते हैं।
सोनल उसे लेकर डाॅक्टर के पास गई तो डाॅक्टर ने बताया- लगता है कि हड्डी गलत तरफ से जुड़ गई है, इसका फिर से आपरेशन करके सही तरीके से लगाना पड़ेगा और इस आपरेशन का खर्च 3000 डाॅलर आयेगा।
डाॅक्टर की इस बात को सुनकर सोनल ने रानो से कहा- बुआ जी ! इतने पैसे हमारे पास नहीं हैं। हम खर्च नहीं कर सकते। आप वापस इंडिया चले जाईये, वहाँ आप अपना आपरेशन करा लीजियेगा। रानो यह सुनकर गहन चिन्ता में चली गयी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने सोच ही लिया था कि अब उसकी जिन्दगी बस ऐसे ही चलेगी।
तभी नर्स ने आवाज दी- मैडम ! डाॅक्टर आपसे मिलना चाहते हैं, वो आपका इन्तजार कर रहे हैं। सोनल तुरन्त रानो को डाॅक्टर के पास ले गई। डाॅक्टर ने सोनल को बताया- कल ही एक हड्डी के स्पेश्लिस्ट डाॅक्टर पेरिस से हमारे यहाँ आये हैं। मैंने आपका केस उनसे डिस्कस किया है, वो आप से मिलना चाहते हैं।
सोनल ने रानो से कहा- बुआ जी ! आप एक बार डाॅक्टर को दिखा दे, फिर देखते हैं कि क्या करना है ?
रानो केबिन के अन्दर गई। डाॅक्टर ने रानो को देखा और बैठने को कहा। डाॅक्टर ने पूरी बारीकी से उसके पैर को चेक किया और कहा कि आपके पैर का फिर से आपरेशन करना होगा, तभी आप सीधा चल सकेंगी। रानो ने डाॅक्टर से पूछा- और आप ऐसा करने के लिए कितना लेंगे ? मेरा मतलब है कि आपकी फीस क्या होगी ?
डाॅक्टर ने कहा- आपको मेरे घर एक महीना आराम करना होगा, यही मेरी फीस होगी। रानो बड़े आश्चर्य से डाॅक्टर को देखती रही। डाॅक्टर ने कहा- क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं ? मैं प्रकाश। रानो ने कहा- नहीं। डाॅ. प्रकाश ने कहा- शायद मेरी हेल्थ और सिर के बाल गिर जाने से तुम मुझे पहचान नहीं पा रही हो। पर शायद रानो अब प्रकाश को पहचान गई थी, वह उससे बहुत सारे सवाल पुछना चाहती थी। पर समय और जगह इन बातों के लिए उचित न था।
रानो के बाहर आते ही सोनल को डाॅ. प्रकाश ने बताया- इनका पैर बिल्कुल ठीक हो जायेगा, बस इन्हें कुछ दिन मेरे आब्जरवेशन में रहना होगा। सोनल ने कहा- आपकी फीस ? डाॅ. प्रकाश ने कहा- अगर सब ठीक हो गया तो जरूर लुँगा। सोनल बहुत खुश हो गई और बुआ से पूछा- क्या आप जाना चाहेंगी ? रानो डाॅ. प्रकाश से बहुत कुछ पूछना चाहती थी। उसे अब पैरों की नहीं बल्कि अपने उन सवालों की चिन्ता थी, जो वो प्रकाश से करना चाहती थी।
डाॅ. प्रकाश ने रानो का आपरेशन किया और अपने घर पर उसकी पूरी देखभाल की। रानो भी अब बिल्कुुल पहले की तरह चलने लगी। पर अब वह डाॅ. प्रकाश के घर से कुछ बातों का उत्तर पा कर वापस जाना चाहती थी। उसने प्रकाश के हाथ में एक तस्वीर देखी। प्रकाश ने रानो को उसे दिखाया। रानो शरमा सी गई। ये वही तस्वीर थी, जब उसकी मँगनी में प्रकाश और रानो एक-दूसरे के पास बैठे थे। रानों ने कहा- आपने मेरा सँदूक क्यों खोला ? इतने दिनों से इसे छिपा कर रखा था। डाॅ. प्रकाश ने कहा- ये तस्वीर मेरी आलमारी में थी और तुम किस तस्वीर की बात कर रही हो ?
रानो ने संदूक खोल तस्वीर निकाली। एक ही तस्वीर की दो कापियाँ दोनों के पास थीं। प्रकाश ने कहा- रानो मैं तुमको कभी भूला ही नहीं सका। मेरे पिता की धन लालसा ने हमें अलग कर दिया, पर मैं हमेंशा तुमको ही अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारना चाहता था। मँगनी टूटने के बाद मैंने अपने पिता से बहुत बहस किया और शादी न करने की बात कह विदेश आ गया, पर तुम्हें भुला न सका। रानो ने पूछा- तो क्या तुम्हारी जिन्दगी में कोई नहीं ? मेरा मतलब है, तुम्हारे पत्नि-बच्चे ।
डा. प्रकाश मुस्कुराये, एक आह भरी और कहा- एक बात के लिए मैं अपने आपको हमेशा तुम्हारा गुनहगार मानता हूँ, शैली नाम की लड़की के साथ मैंने शादी करनी चाही, पर वो मेरे पैसों के लिए मुझसे जुड़ी और जब मन भर गया तो नये जीवन-साथी के साथ मुझे छोड़ कर चली गई और बच्चे हुए ही नहीं। बस जीवन के इस पड़ाव में अपने आप को बिजी रखता हूँ , ताकि खुद को अकेला न खड़ा पाऊँ।
प्रकाश बातें खतम कर एक तरफ खिड़की पकड़ कर खड़ा हो गया और फिर उसने कहा- अब अपना सुनाओ रानो, तुम्हारे जीवन में परिवार, पति, बच्चे ? रानो ने व्यंग भरी मुस्कान के साथ अपने जीवन के सारे पन्ने खोलकर रख दिये।
प्रकाश की आँखें भर आईं। उसने कहा- तो क्या जीवन के इस मोड़ पर तुम मेरे साथ चलोगी ? रानो डा. प्रकाश को देखकर मुस्कुराई और सर हिला कर हामी भर दिया। प्रकाश भी प्रसन्नचित्त हो गया, मानो उसे अपनी मंजिल मिल गई हो।
जिस राह पर वो इतने वर्षों तक अकेला चलता रहा, अब उसका सफर खत्म हो गया हो।
Image:Google
अच्छी कहानी
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