☀ ♥ मार्च , 2024 : दिन - :: ♥ ♥ : ''एक नई दिशा' में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है ! -- जय श्री राम !॥ !♥ ♥" ♥☀ ♥

मंगलवार, 28 सितंबर 2021

निराकरण

 

NIRAKARAN IN HINDI - EK NAI DISHA


हम सभी के साथ ऐसा  होता है, हर इन्सान जन्म लेता है और जन्म के साथ ही निरन्तर सीखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और सीखना वृद्धावस्था तक जारी रहती है। हमें हर पल कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम जीवन को सुन्दर बनाने योग्य बातें मन में धारण कर मन व जीवन को सुन्दर बना लें या फिर कुविचारों को आमंत्रण दें, जो हमारे जीवन को व्यर्थ बना देते हैं। जो विचार दूसरों को खुशी दें, ऐसे विचार अपने मन को शीतल बनाते ही हैं, साथ ही साथ आस-पास के वातावरण में रहने वाले लोगों को भी। 


सच ही किसी ने कहा है कि हमारा मन हमारा प्रतिबिम्ब होता है। हमें थोड़ा समय अपने मनरूपी प्रतिबिम्ब में अपने-आप को जरूर देखना चाहिए कि हमने क्या अच्छा किया और क्या बुरा किया ? क्या सार्थक किया और क्या निरर्थक ? कहीं हमारा जीवन व्यर्थ तो नहीं जा रहा। हम अपने पीछे बीते दिनों को याद कर कहीं  अपना आने वाला कल तो नहीं बिगाड़ रहे ?


बार-बार पीछे की बातों को याद कर बीती गलतियों को सोच-सोच कर मन को परेशान कर हम अपने आप को दोषी ठहराते रहते हैं और ‘हम अभी भी जीवन में आगे कुछ अच्छा कर सकते हैं’ ऐसा सुन्दर विचार को मन में आने ही नहीं देते। ऐसे दूषित विचार से हमारा आज तो खराब होता ही है, हमारा आने वाला कल भी बिगड़ने की कगार पर आ जाता है।


तो मैं आप सभी से यही कहना चाहती हूँ कि पुरानी बीती बातों से पछतायें नहीं, बल्कि कुछ सार्थक रास्ता ढूँढें। क्योंकि हर क्षण कीमती होता है और उसे यूँ ही बर्बाद नहीं करना चाहिए। 


आइये, एक छोटी कहानी के माध्यम से सुन्दर सीख लेते हैं।

रविवार, 12 सितंबर 2021

आखिरी पड़ाव - भाग दो

 

AAKHIRI PADAV HINDI STORY part 2 - EK NAI DISHA



अभी तक आप ने पढ़ा  - आखिरी पड़ाव भाग एक

अब आगे ...


आपरेशन के लिए 10,000 डाॅलर की जरूरत है, ऐसी बात सुन सोनल ने अपने पति से कहा कि शुक्र है ! हमने बुआ का इन्श्योरेंस करवा लिया था, तो उसके पति ने उसे बताया कि बच्चे की भाग-दौड़ में उसके दिमाग से इन्श्योरेंस कराने की बात ही निकल गयी।


पर अब दोनों सोचने लगे कि 10,000 डाॅलर का इन्तजाम कहाँ से करें ? सोनल के पति ने बहुत जगह डाॅक्टरों से बात की, फिर एक अच्छी खबर मिली कि कोई डाॅक्टर 3000 डाॅलर में रानो के पैर का आपरेशन करने को तैयार था। 


रानो का आपरेशन हो गया। रानो पूरी तरह स्वस्थ्य होने के बाद घर आ गई और जब उसने अपने पैर जमीन पर रखा तो उसके पैर सीधे पड़ने की बजाय एक पैर टेढ़ा पड़ रहा था। रानो ने अपना सर पकड़ लिया। वो समझ गई थी कि वो अब अपाहिज हो गई है, उसके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पर सोनल ने कहा- बुआ जी ! अब आप चल सकती हैं। ये क्या कम बड़ी बात है ! आप फिक्र ना करें। हम उसी डाॅक्टर से बात करते हैं।


सोनल उसे लेकर डाॅक्टर के पास गई तो डाॅक्टर ने बताया- लगता है कि हड्डी गलत तरफ से जुड़ गई है, इसका फिर से आपरेशन करके सही तरीके से लगाना  पड़ेगा और इस आपरेशन का खर्च 3000 डाॅलर  आयेगा।


डाॅक्टर की इस बात को सुनकर सोनल ने रानो से कहा- बुआ जी ! इतने पैसे हमारे पास नहीं हैं। हम खर्च नहीं कर सकते। आप वापस इंडिया चले जाईये, वहाँ आप अपना आपरेशन करा लीजियेगा। रानो यह सुनकर गहन चिन्ता में चली गयी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने सोच ही लिया था कि अब उसकी जिन्दगी बस ऐसे ही चलेगी।


तभी नर्स ने आवाज दी- मैडम ! डाॅक्टर आपसे मिलना चाहते हैं, वो आपका इन्तजार कर रहे हैं। सोनल तुरन्त रानो को डाॅक्टर के पास  ले गई। डाॅक्टर ने सोनल को बताया- कल ही एक हड्डी के स्पेश्लिस्ट डाॅक्टर पेरिस से हमारे यहाँ आये हैं। मैंने आपका केस उनसे डिस्कस किया है, वो आप से मिलना चाहते हैं।

रविवार, 5 सितंबर 2021

आखिरी पड़ाव- भाग एक

 

AAKHIRI PADAV HINDI STORY part 1 - EK NAI DISHA



आज घर में सुबह से ही चहल-पहल थी। आने-जाने वाले लोगों का तांता लगा था। कोने में एक बेहद सुन्दर लड़की दुल्हन की तरह सजी बैठी थी, मगर वह रो रही थी। ये आँसू विदाई के नहीं बल्कि दहेज की रकम न दे पाने और सगाई टूट जाने की वजह से थी। रानो नाम था उस प्यारी सी लड़की का, जिसके पिता से वर पक्ष के लोग अपने डाॅक्टर बेटे के ऊपर खर्च होने वाले रकम को वसूल करना चाहते थे। 


वर पक्ष के चले जाने के बाद स्थिति ऐसी थी, जैसे तूफान आने के बाद बर्बाद हुए खेतों की होती है। सभी दुःखी थे। रानो अपने तीन भाइयों में सबसे बड़ी थी। दिन बीतते गये। आज इस घटना को हुए पूरे दस वर्ष बीत गये, फिर रानो के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं आया, अगर आया भी तो रानो ने उसे मना कर दिया । उसने शायद अपने दुःखों से समझौता कर अपने इस जीवन को स्वीकार कर लिया था।


वर्ष बीतते गये, अब रानो उम्र के जिस पड़ाव पर आ गई थी कि उसके लिए रिश्ता आना मुमकिन नहीं था। एक-एक कर तीनों छोटे भाईयों की शादी हो गई, सभी अपने परिवार में रम गये। रानो के पिता भी चल बसे। रानो अब अपनी माँ के साथ एक-एक कर सभी भाईयों के साथ उनके घर पर रहने लगी। 


बड़े भाई की बेटी की भी शादी हो गई और वो अपने पति के साथ अमेरिका चली गई और कुछ समय बाद उसके माँ बनने की खबर सभी को मिली। सभी बहुत खुश थे। 


एक दिन सोनल ने अपने पिता को फोन किया और उसने अपने पिता से कहा कि बुआ को मेरे पास अमेरिका भेज दीजिये, वो सब संभाल लेंगी। आपको तो पता है न यहाँ पर किसी कामवाली या बच्चे सम्भालने वाली ‘आया’ को रखुँगी तो घण्टे का चार्ज लेगी, जिससे हमारा बजट ही बिगड़ जायेगा और अगर बुआ आ जायेगी तो वो घर व बच्चे दोनों को संभाल लेगी। 


सोनल के पिता ने कहा-तुम्हारी बुआ के जोड़ों में दर्द रहता है, अगर उनको ले ही जाना है तो उनका पहले हेल्थ इन्श्योरेंस करता लो, जिससे डाॅक्टर का खर्च बच जायेगा और तुम दोनों को भी आसानी होगी।