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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

बदलाव

 श्याम और दिवाकर बहुत ही अच्छे दोस्त थे। अपना हर सुख-दुख एक दूसरे के साथ बाँटते थे, एक साथ समय बिताते और ऐसे ही एक दूसरे को जानते हुए उन्हें बीस वर्ष हो गये । ये बचपन के दोस्त जो थे। अब एक ही कम्पनी में जाॅब भी करते थे। पर एक दिन दिवाकर के मोबाइल में एक लड़की की तस्वीर देखकर श्याम  हैरान रह गया। उसने दिवाकर से प्रेम -प्रसंग छुपाकर रखने के कारण थोड़ा गुस्सा भी दिखाया। पर दिवाकर ने कहा- "मैंने इसकी थोड़ी मदद कर दी थी तो बस दोस्ती हो गयी, यार श्याम  जब कुछ ऐसा होगा तो, मैं सबसे पहले तुझे बताऊँगा।" 



पर श्याम की आँखों में उस लड़की का चेहरा समा गया था। मन ही मन वो उसे चाहने लगा था। फिर एक दिन अचानक उस लड़की से श्याम की मुलाकात हो गई। 'माया' नाम था उसका। वो किसी से ज्यादा मेल-मिलाप ना रखने वाली लड़की थी। पर दिवाकर का नाम सुनकर दोस्ती करने को तैयार हो गई और यह दोस्ती धीरे-धीरे कब प्यार में बदल गई ये श्याम और माया दोनों को ही पता नहीं चला। 


एक दिन श्याम ने माया से अपने दिल की बात कह दी पर माया ने शादी की बात को टाल दिया। फिर एक दिन अचानक लखनऊ जाने की बात कह कर चली गई और फिर उसका कोई अता-पता नहीं चला। श्याम  ने दिवाकर से अपने और माया के बारे में सारी बात बता दी तो दिवाकर से उसे उस कम्पनी का नाम और फोन नम्बर मिला जहाँ माया काम करती थी। कम्पनी ने उसे माया के घर का नम्बर दिया। श्याम ने उसे घर पर फोन किया तो माया ने फोन उठाया और उसने कहा कि उसके पापा को हार्ट अटैक आया है और बीमार  हैं। वो उसकी शादी अपने दोस्त के बेटे के साथ जल्दी कराना चाहते हैं, जो एक अच्छी जगह पर जाॅब करता है। उसकी सैलरी बहुत अच्छी है, घर बहुत बड़ा है।  माया उस अन्जान शख्स के तारिफों के पुल बाँधती रही और श्याम सुनता रहा। 


अचानक श्याम ने माया को टोका और पूछा- "हमारे प्यार का क्या ?" माया ने श्याम  को उत्तर दिया, जिसकी उसे कभी भी उम्मीद नहीं थी। उसने श्याम से कहा- "समय के साथ सब धुँधला हो जाता है। यदि पैसा और पोजीशन न रहा तो जीवन कैसा ? मेरी मानो तुम भी जिन्दगी में आगे बढ़ो और कहीं अच्छी जगह जाॅब कर लो, जहाँ सैलरी जीवन जीने लायक मिले।"




माया की बात सुनकर श्याम हतप्रभ सा रह गया कि उसने प्यार के बारे में जो सुना था, क्या वो यही है ? जिसके लिए लोग मर भी जाते हैं। श्याम ने माया को फिर कभी पलट कर नहीं देखा। शायद यही सच्चे प्यार की पहचान थी, जिसे श्याम ने निभाया।


समय बीतता गया। श्याम को एक दिन काॅल आया। दिल्ली से कोई कम्पनी उसे जाॅब ऑफर  करना चाहती थी। श्याम भी अब उस शहर से दूर हो जाना चाहता था, सो उसने ऑफर  स्वीकार कर लिया। उसी दिन माया की भी शादी थी। श्याम अपनी आँखों में आँसू लिए रवाना हुआ। 


धीरे-धीरे चार साल बीत गए। श्याम की मेहनत और लगन श्याम को एक ऐसे मुकाम पर ले आई, जहाँ उसे अब पैसे की कोई कमी नहीं रह गई थी। वह उसी कम्पनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत था और कम्पनी द्वारा दिये गये फ्लैट में रह रहा था।


एक दिन दिवाकर का फोन आया और उसने श्याम का अपनी शादी की बात बताई। श्याम यह सुनकर बहुत खुश हुआ। एक हफ्ते बाद शादी थी। दिवाकर श्याम का सबसे अच्छा दोस्त था। कुछ रिश्ते सच्चे व सुन्दर होते हैं, जो वक्त की आँधियों में भी अपनी लालिमा नहीं खोते।


आज दिवाकर की शादी में जाने के लिए श्याम तैयार हुआ। काले सूट में वह बेहद आकर्षक लग रहा था। अपनी कार से वह शादी समारोह वाले स्थान पर पहुँचा। दिवाकर उसे देख कर बहुत खुश हुआ। उसने उसे अपने सभी जानने वाले लोगों से मिलवाया। तभी श्याम की नजर लाल साड़ी पहनी हुई एक महिला पर पड़ी। वो और कोई नहीं उसकी माया थी, जो अपने पति के साथ दिवाकर के शादी में शामिल होने के लिए आई थी।


माया के पति ने श्याम को देखते ही ‘सर’ कह कर सम्बोधित किया। श्याम ने भी उत्तर में सिर हिलाया। माया ने अपने पति से पूछा- ‘‘ये आपके बाॅस हैं ?’’  माया श्याम से कुछ कहती, उससे पहले ही श्याम चार कदम आगे बढ़ गया।


माया ने उसे पीछे से आवाज दे कर बुलाना चाहा, पर श्याम ने ऐसा दिखाया कि वो माया को जानता ही नहीं। 


माया अब समझ चुकी थी कि श्याम अब वो श्याम नहीं रह गया था। वह बदल चुका था। अब माया श्याम के लिए एक इम्प्लाय की पत्नी मात्र बन कर रह गई थी। और ये मुलाकात माया को जीवन भर कचोटती रहेगी। 

सोमवार, 31 जुलाई 2023

खट्टा - मीठा



क्या बात थी ? आज रामू बहुत खुश था। बहुत ही ज्यादा खुश। आज जीवन में पहली बार उसकी हाथों में मीठे, शुद्ध देशी घी से बने पेड़ा का दोना जो था, जिसकी केसर और इलायची खुशबू रामू के तन-बदन को महका रही थी। वह बस एक टक पेड़े के दोने को देखे जा रहा था। 

तभी मालकिन की आवाज सुन कर रामू की तन्द्रा टूटी। मालकिन ने रामू से कहा, "साहब ने जो कागज दिया था, वो कहाँ है ?" रामू को मालिक ने जो कागज दफ्तर से घर ले जाकर देने को कहा था, उसने उसे मालकिन के हाथों में पकड़ाते हुए, वह एक बार फिर से पेड़ों की मिठास की दुनियां में खो गया। वह यही सोच रहा था कि ये पेड़े खाने में कितने स्वादिष्ट होंगे।

तभी मालकिन ने रामू से कहा,"रामू ! बैठे क्यों हो ? खाओ ना। " मालकिन की बात सुन कर रामू को रहा न गया और उसने एक पेड़ा उठाकर मुंह में रख ही लिया। फिर  उस पेड़े की मिठास से रामू का रोम -रोम आनन्दित हो गया। एक पेड़ा खाने के बाद उसको अपने परिवार का ख्याल आया।  

रामू यही  मिठास अपनी पत्नी व बच्चों के मुँह में घोल देना देना चाहता था। क्योकि वह मुश्किल से  दो जून की रोटी का जुगाड़ ही जैसे-तैसे कर पाता  था।  फिर इन पेड़ों का उपहार पत्नी और  बच्चों के लिए किसी विशेष उत्सव में निमंत्रण से कम नहीं था। रामू ने परिवार का ख्याल आते ही पेड़ों को समेटने की चाह में दोने को  उठाया।

तभी मालकिन ने रामू  कहा ,"सारे खा लो। और है।  घर ले जाना बीवी ,बच्चों के लिए " और ये कहते हुए एक और पेड़े से भरा दोना रामू की ओर मालकिन ने  बढ़ाया। रामू पेड़ों को देखकर फूला नहीं समा रहा था। वह यही सोच रहा था कि मालिक ने अगर कागज मालकिन को घर जाकर देने को नहीं कहा  होता तो वह मालकिन के द्वारा दिए गए पेड़ों के उपहार से वंचित रह जाता।

रामू मालिक के घर 5 किलोमीटर पैदल चलकर कड़ी धूप में आया था। आज, हरिया की  साईकिल  पंचर हो जाने के कारण रामू को नहीं मिल सकी थी।   हरिया से साईकिल लेकर  वह अक्सर  घर से मालिक के ऑफिस जाया करता था।  पर अब रामू को तपती धूप का कोई अहसास ही  नहीं था।  मालकिन  के दिए पेड़े उसके लिए  किसी बारिश से कम नहीं थे। रामू आज से पहले मालकिन के इस दयालु स्वभाव से कभी परिचित नहीं हुआ था।

अब रामू के पास एक ही लक्ष्य था। उन पेड़ों को परिवार को खिलाकर उनके चेहरे पर खुशी देखना। रामू ने दोने को समेटा और घर जाने के लिए खड़ा हुआ। अभी वह मालकिन के घर से चार कदम ही चला था कि तभी घर के काम वाली बाई की आवाज रामू के कानों में पड़ी कि "मालकिन इन बचे पेड़ों को  कूड़े में  डाल आऊं ? ये तो आपके किसी काम के नहीं रहे। इसमें बिल्ली ने गंदगी जो कर दी थी,मैं तो इसे खाने से रही।"

कामवाली की बातों  को सुन रामू हत्प्रभ रह गया। वह अब मालकिन की दयालु प्रवृति से शायद परिचित हो चुका था। जो पेड़े अभी तक उसके मुँह में मिठास घोल रहे थे, वे अब इतने कड़वे हो गए थे कि रामू उन पेड़ों की कड़वाहट का अहसास अपने परिवार को नहीं करवाना चाहता था।

रामू ने पेड़ों के दोनों को सड़क के किनारे फेक दिया और रामू सोचने लगा कि अगर  इन पेड़ों को अपनी पत्नी और बच्चों को खिला देता और ये बातें अगले दिन पता चलती तो खुद से कैसे नजरें मिलाता ? और उसकी आँखो से आँसू छलक जाते हैं।

सच ! कैसी विडंबना है ये ? कैसी रेखा है अमीरी और गरीबी की ? अफसोस होता है ऐसी मानसिकता पर। जिसके पास सम्पन्नता है, धन है, वो गरीबो को क्यों इतनी नीची दृस्टि से देखते हैं ? क्या इंसान की कीमत सिर्फ रुपयों से होती है, वरना उसका कोई मोल नहीं ?

Image-Google

शनिवार, 24 जून 2023

ख्वाहिशें !

KHWAHISHE IN HINDI - EK NAI DISHA 2023


सपने कौन नहीं देखता ?  हर शख्स के आँखों में एक सपना होता है - कुछ कर दिखाने का । बहुत से ऐसे Lucky Person  होंगे, जिनके ऊपर अपने माता-पिता व ईश्वर का आशीर्वाद होता है और जो अपने सपने को पूरा कर पाते  हैं। कुछ लोग  जीवन में  परेशानियों  का  सामना करते-करते, उनके सपने उनकी खुद की नजर से धुंधले हो जाते हैं। 

उनके कन्धों पर जिम्मेदारियों का इतना बोझ होता है कि बस उसे निभाने में दिन रात लगे रहते हैं,  अपना सपना पूरा करने की  उनकी बारी आ ही नहीं पाती। ऐसे भी लोग होते हैं, जो सपना देखने से डरते हैं कि वो ना जाने पूरे हो सकेंगे या फिर नहीं। पर क्या हमें सपना देखना छोड़ देना चाहिए ?

हम मन में अपने कैरियर बनाने का सपना लिए बड़े होते हैं और जब निराशा हाथ लगती है तो मन बहुत परेशान हो जाता है। कैरियर बनाने का सपना सच करने के लिए न सिर्फ कठिन परिश्रम बल्कि अच्छी सूझ -बुझ का होना भी बहुत  अनिवार्य है। आगे एक Story पढ़िए, जो इसी तथ्य को दर्शाती  है । 

एक बुजुर्ग महिला की सूई खो गई थी। वो उसे रोड लाइट की रौशनी में ढूंढ रही थी। मगर उसके लाख प्रयत्नं करने के बाद भी उसको सूई नहीं मिल पा रही थी। तभी उस रास्ते से गुजर रहे एक युवक ने उस महिला की परेशानी जानकर वो उस महिला की सूई को ढूंढने लगा। देखते -ही -देखते, गाँव के सभी लोग उस महिला की सूई ढूंढने लगे। फिर भी सूई नहीं मिली। थोड़ी देर के बाद एक युवक ने महिला से पूछा," माता जी ! आपकी सूई वैसे  गिरी कहाँ थी ? हमें बता दीजिये, ताकि सूई जल्दी मिल जाये।" 

मंगलवार, 30 मई 2023

दोस्ती

DOSTI IN HINDI - EK NAI DISHA 2023

दोस्ती हमारे जीवन में बनने वाले उन सभी रिश्तों में सबसे अनूठा, एक अलग प्रकार की अनुभूति कराने  वाला रिश्ता होता है। सभी रिश्ते तो हमें बने बनाए मिल जाते हैं, पर  दोस्ती तो हम स्वयं अपने मन पसंद, दिल को अच्छा लगने वाले साथी से ही करते हैं। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है, जिसमें ऊंच -नीच, जात-पात, गरीबी-अमीरी नहीं होती। एक सच्चा मित्र मिल जाने के बाद जीवन में आने वाली ना जाने कितनी मुश्किलों का समाधान मिलता चला जाता है। 


सबसे अनोखी होती है -- हमारे बचपन की दोस्ती। इसके क्या कहने ! इसमें हर छोटी सी छोटी चीज शेयर करने का अपना अलग ही आनंद होता है। लंच में माँ ने कितनी भी टेस्टी चीज खाने को क्यों ना दीं हों, पर दोस्त के साथ निवाला खाये बिना सब फीका लगता है। वो हमारी पानी की बॉटल, जो हम सभी दोस्तों के ना जाने कितनी बार होठों से लगकर हमारी प्यास बुझाया करती थी, ना जाने उस बॉटल में ऐसा क्या था जो, फिर भी जूठी नहीं होती थी।

दोस्तों के साथ मस्ती करना, गप्पे मारना, घूमना, पढ़ना, खाना-पीना किसे अच्छा नहीं लगता है ? शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो इस अनोखे रिश्ते से अछूता होगा। हम सभी ने, न जाने कितनी शरारतें अपने दोस्तों  के साथ मिलकर की होंगी।  क्या आपने नहीं की हैं ? मुझे पता है, बहुत की हैं। जो याद आते ही, लगता है कि, वो दिन काश ! एक बार फिर लौट आते।  मगर वास्तविकता यह है कि यादें तो बार-बार जीया जा सकता  है, मगर गुजरा जीवन नहीं लौट सकता। 

शनिवार, 20 मई 2023

जीवन के रंग

 

JEEVAN KE RANG IN HINDI - EK NAI DISHA 2023 
 
अपने जीवन में  प्रतिदिन हमने दिन -रात होते देखा होगा . बस हमारा मन भी इसी दिन -रात  की तरह ही है। कभी खुशियों का प्रकाश हमारे होठों  मुस्कराहट देता है, तो कभी गम के गहरे अंधियारे में हम कहीं खो जाते हैं। और जाने कब हमारे आँखों से आसूं छलक जाते हैं ? हमारा इन भावनाओं पर कोई वश नहीं होता है, ठीक उसी प्रकार जैसे कि  सूर्य उदय होने पर सूरज की किरणों को कोई धरती पर आने से कोई रोक नहीं सकता चाहे कितना भी घना कोहरा क्यों ना हो।

ये जीवन भी उसी प्रकार है इसमें परेशानियाँ ,सुख -दुःख, धूप छाव की तरह ही आते रहते हैं। जिन लोगो ने भी जन्म लिया है वो इन भावनाओं से अछूता नहीं रह सकता है। मैं ये मानती हूँ कि जीवन में कुछ परेशानियों का हल मिल पाना जल्दी सम्भव नहीं हो पता पर वो परेशानी भी तो हमेशा नहीं रहने वाली है। फिर कैसा घबराना  ? कैसी चिंता ? जीवन का निर्माण हुआ, तभी ये भावनाएं मन में उम्र के साथ स्वतः ही आ गई। जब ये भावना नहीं होगी तो सुख -दुःख की अनुभूति भी नहीं होगी ,फिर हमारा जीवन कैसा होगा जरा कल्पना कर के देखिये।  
 
कोई परेशानी इतनी भी बड़ी नहीं होती जिनसे हम पार  ना पा सके। उस समय हमें अपने  आत्मविश्वास की रक्षा  चाहिए कि वो कभी ना डगमगाए। जब मन दुखी होता  तो उस बात को अपने शुभ चिंतको  कहना चाहिए। क्योकि दुःख बांटने से कम होता है और ख़ुशी वो तो जितनी बाटी जाय उतनी बढ़ती है।

बुधवार, 26 अप्रैल 2023

जीवंतता

JEEVANTATA IN HINDI - EK NAI DISHA 2023

ऐसा हमारे साथ अक्सर होता है  कि हम  सामने वाले की कही बातों को मन से लगा लेते हैं और वो बातें हमारे मन पर इस प्रकार हावी  हो जाती हैं कि उनसे बाहर निकल पाना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। मैंने भी अपनी इसी कमजोरी के कारण न जाने कितने वर्षों तक खुद से संघर्ष किया है मगर आज मैं  लोगों के विचारों से खुद के मन को आहत नहीं होने देती हूँ।

जब भी कोई ऐसे  व्यक्ति का विचार जो मेरे मन को दुखी करता है तो मैं  स्वतः ही उससे बाहर  निकलने का प्रयास करती हूँ और मैं उसमे कामयाब भी हो जाती हूँ। सच मानिये मेरे पास ऐसा कोई भी नहीं है, जिसके साथ मैं  अपनी परेशानियों को बाँट  सकूँ। मगर मैंने जीवन से सीखा  है कि जब भी बुरे विचार  हावी हो तो उनको तुरंत मन से झटक देना चाहिए और नकारात्मक विचार वाले लोगों से दूरी बनाकर रखना चाहिए। ऐसा सभी  के साथ होता होगा। जब हमें कोई दिल को चुभने वाली बात कहता है तो हमारा मन  उदास हो जाता है।

हम दिन रात बस इसी सोच में डूबे रहते है कि उसने  ऐसा क्यों कहा ? उसने  वैसा  क्यों कहा ? पर मेरे प्यारे दोस्तों ! हम किसी की जुबान व सोच पर तो लगाम नहीं लगा  सकते हैं पर उन विचारों से खुद के  मन को दुखी होने से जरूर बचा  सकते हैं। क्या आप इस बात को समझते है कि जो व्यक्ति अपनी बातों से आपको दुःख पहुंचता है, उसकी नीयत  ही आपकी  मुस्कराहट को छीनना है।
 

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

परोपकार

 

PAROPKAAR IN HINDI - EK NAI DISHA 2023


ये तो हम सभी जानते हैं कि जीवन मुश्किलों का घर है। अगर हम इस सच्चाई से अनभिज्ञ रहें तो जीवन कितना आसान लगता है ! और यदि हम इस सच्चाई से परिचित हो जाते हैं, तो हमारा जीवन जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। हमारी मनोदशा भी ऐसी हो जाती है कि मानो सारी मुसीबतों का पहाड़ हम पर ही टूट पड़ा है और हम इससे शायद कभी उबर ही नहीं पाएंगे। मैंने पहले भी इस प्रकार की चर्चा अपने नन्हे से पोस्ट में की थी। आपको शायद याद भी होगा ,जो बाबा युवक को अपने सर पर पत्थर रख कर चलने को कहते हैं। क्यों याद आया ? पर इस बार मैं आपके लिए कुछ अलग लाई हूँ।


मैं जानती हूँ कि सभी के जीवन में कोई - न - कोई अपनी परेशानी होती है। कभी हम इसे चुटकियों में दूर कर लेते हैं , तो कभी यह हमारे सामर्थ्य से बाहर की होती हैं। बहुत से ऐसे भी मित्र होंगे, जो छोटी -छोटी परेशानियों से बाहर ही नहीं आ पाते हैं और इन परेशानियों के घेरे में उदास और परेशान होकर अपने जीवन को जीते जाते हैं। ये तो 16 आने सच्ची बात है कि परेशानी ना तो कभी बता कर आती है और ना ही हमारे पसन्द के मुताबिक ही होती है। और इन परेशानियों से कौन दोस्ती करना चाहेगा ? कोई भी नहीं !


क्योकि, भाई ! जिसे दोस्त बनाओगे, वो तो आपसे मिलने हर दूसरे रोज आया जाया करेगा। पर हम दूसरों की परेशानियों से दोस्ती कर लें तो ! क्या ख्याल है आपका ? यदि हम किसी की परेशानियों को समझकर,हमसे जो बन पड़े, अपने सामर्थ्य के अनुसार उसकी मदद करें तो क्या बुराई है ? आइये, हम सभी एक अनोखे मददगार के बारे में जाने !

बुधवार, 8 मार्च 2023

होली की ठिठोली !

 

HAPPY HOLY  2023 - EK NAI DISHA


 ' नई दिशाकी ओर से आप सभी को रंगों के पर्व 'होली' 2023 की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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Happy Holi



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