
सुख और दुःख जीवन के महत्वपूर्ण पहलू है। जब बच्चा जन्म लेता है , तो माँ को न जाने कितने कष्टों का सामना करना पड़ता है और उसके आँख खोलते ही सारे दुःख ख़ुशी में परिवर्तित हो जाते है। संसार में जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति इस सुख -दुःख के चक्कर से बच नहीं सका है। जब कभी हम दुखी होते हैं , तो हम बहुत अधिक निराश हो जातें हैं। हमें लगता है कि ये समय कब बीतेगा ,कैसे बीतेगा।
और जब हम खुशियों के दिनों को एन्जॉय करते है तो हम अपने उन दिनों का स्मरण भी नहीं करना चाहते है। मगर ये सुख -दुःख हमारे जीवन की परछाईयाँ है, जिनसे हम कभी भाग नहीं सकते और जब हम जीवन में आये मुश्किलो से घिर जाते है तो तभी हमें अपने और परायों की परख होती है। क्योकि जो लोग हमारे अच्छे दिनों के साथी होते है उनमें से ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं , जो परेशानियों में हमसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ लेते हैं।
सभी को जीवन में आने वाली परेशानियों के लिए हमेंशा तैयार रहना चाहिए। क्योंकि परेशानी कभी भी दरवाजे पर दस्तक दे कर नहीं आती। वो जब भी आती है, हमें सँभलने का अवसर भी नहीं देती। हम आने वाली परेशानियों को रोक तो नहीं सकते, मगर उससे उबरने के लिए तैयारी जरूर कर सकते हैं। हमें रोजमर्रा के खर्चों में से थोड़ा इन्वेस्मेंट जरूर करना चाहिए। बैंक में अपना खाता जरूर खुलवाना चाहिए। घर पर भी हमें बचत की आदत डालनी चाहिए। गुल्लक में अपने सामर्थ्य के अनुसार रोजाना रूपये डालने चाहिए। हम वो सिक्के, जिनकी हमें जरुरत नहीं होती उन्हें भी उसमें डाल सकते हैं।
आपको यकींन नहीं होगा कि इन छोटी-छोटी अच्छी आदतों से न जाने कितने पैसों की बचत हो जाएगी। यही छोटी सी बचत हमारे लिए बहुत उपयोगी बन सकती है। मैंने अपनी आदतों में इसे शामिल किया है, उसी बचत के द्वारा न जाने कितनी बेहद जरुरी सामानों की खरीदारी की है, जिससे मेरे घर का बजट भी प्रभावित नहीं हुआ ।
बच्चों को भी प्रारम्भ से ही बचत करना सिखाना चाहिये। ताकि वे जीवन की जटिल परिस्थितियों का सामना सकें। मैंने एक ऐसे ही बचत के तरीके को अपने मित्र के घर देखा था। जिसके परिवार के प्रत्येक सदस्यों की यह आदत थी कि जब वो पूजाघर में प्रभु को सुबह प्रणाम करते थे, तो वहां रखे गुल्लक में सिक्के या रूपये डालते थे। उसके घर के सभी बड़ों एवं बच्चो की आदतों में ये शामिल था। मेरी मित्र ने बताया की इस गुल्लक के बचत के पैसो के द्वारा उसके यहाँ तीज -त्योहारों में खरीदारी होती है और घर का बजट भी नहीं बिगड़ता। मैंने इसको फॉलो किया है। आप सभी इसे जरूर करके देखें। हमारी एक-एक रूपये की बचत हमारे खुशियों को पंख लगा देगी ।
आज के लिए इतना ही !
धन्यवाद
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दादी से सौम्या की परेशानी देखी न गई और उन्होंने सौम्या को अपने पास बुलाया और अपनी गोद में सौम्या का सर रखा। सौम्या ने अपनी परेशानी दादी से कह दी। उसने बताया कि उसने दसवीं व बारहवीं कक्षा तो बहुत ही अच्छे नम्बर से पास कर लिया पर बी.ए. फस्ट ईयर की परीक्षा में उसे फेल होने का डर लग रहा हैै। उसने कहा कि अगर वह फेल हो गई तो वह अपनी जान दे देगी और ऐसा कहकर वह रोने लगी। दादी माँ ने उसे ऐसे परेशान कभी नहीं देखा था।
उन्होंने एक दम से कहा,‘‘तो फिर बेटा परिणाम का इन्तजार क्यूँ ? अभी दे दो अपनी जान, खतम कर दो अपनी जिन्दगी। अगर तुम्हें अपने परिणाम पर भरोसा नहीं है तो इन्तजार किस बात का ? पर क्या तुमने कभी सोचा है