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शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

बारिश

 

BAARISH IN HINDI - EK NAI DISHA


हैलो मेरे प्यारे मित्रों ! इतने विराम के बाद, मैं फिर आपके समक्ष एक स्टोरी लेकर आई हूँ। ये स्टोरी प्यार के बारे में है।

हम सभी ने कभी न कभी, किसी न किसी से जरूर प्यार किया होगा। कुछ लोगों की यादें मीठी हैं और कुछ लोगों के अनुभव बहुत ही कढ़वे हैं। पर भई ! प्यार तो प्यार है, ना चाहते हुए भी हो जाता है और प्यार ना तो जानबूझकर किया जाता है। ये तो बस हवा के झोंके की तरह आता है और दिल को मजबूर कर देता है। उस शख्स अच्छाईयों की तरफ हम खिंचतें चले जाते हैं। प्यार के इसी सुखद एहसास पर मेरी इस छोटी स्टोरी को पढ़ें और अपनी राय मुझे कमेंट के रूप में अवश्य सुझाएँ।

नताशा बचपन से ही बारिश की बूँदों से बहुत प्यार करती थी। जब भी बारिश होती वह भीगने को निकल पड़ती- ना जगह देखती और ना ही समय। बस खो जाती उन बारिश की बूँदों में। एक बार तो सर्दी का मौसम था और थोड़ी बारिश भी हो रही थी। अजी ! मौसम का क्या भरोसा। पर नताशा खुद को रोक ना सकी और बस वही हुआ, जिसका डर था। अरे भाई ! सर्दी-जुकाम की बात मैं नहीं कर रही, लेकिन उस प्यार की, जिससे नताशा बिल्कुल अनजान थी।

जब वह बारिश से भीग रही थी, तभी उसके सामने एक कार आ कर रूकी। नताशा कुछ समझ पाती कि कुछ लोग ने उसको कार में अन्दर खींचने की कोशिश करने लगे। तभी उसने देखा कि सामने से एक बाइक आई। उसने उसे अपनी ओर खींचा और तभी कार में बैठे शख्स का सर कार के डैशबोर्ड से  टकराया और कार ने सन्तुलन खो दिया। कार में सवार लोगों को काफी चोट आई। कार-सवार का इलाज तो हुआ और बाद में जेल भी, पर बचाने वाले शख्स का पता नताशा को नहीं चल सका। 

नताशा ने बहुत कोशिश की पर कुछ भी पता नहीं चल सका। फिर एक दिन उसने देखा कि एक वीडियो सोशल-मीडिया पर बड़ी जोर-शोर से वायरल हो रहा है, उसने उस वीडियो के जरिये कोशिश की, कि उस शख्स को एक बार दिल से आभार व्यक्त करे। फिर एक दिन फेसबुक के जरिये नताशा ने उसे ढूँढ निकाला।

वरूण नाम था उस शख्स का। फ्रैंड रिक्वेस्ट भी एक्सेप्ट हो गया था। पर जिस वरूण से वो मिलना चाहती थी, वो शख्स वो वरूण नहीं था। फिर एक दिन चैट करते-करते  उसे एक फोन नम्बर मिला। उसने वरूण से बात की। 

नताशा और वरूण अब दोनों अब अपनी जिन्दगी की हर बात शेयर करने लगें। नताशा की तो वरूण जैसे जान ही बन गया, इतना अच्छा शख्स जो था वरूण। आर्मी में भर्ती हो ही चुकी थी वरूण की। बस कुछ दिनों की छुट्टी को परिवार के साथ बिताने आया था। एक दिन वरूण ने बताया- माँ बहुत बीमार है पर मुझे वापस जाना ही होगा। दो दिन की छुट्ठी बची है। माँ चाहती है कि पिताजी के पसन्द की लड़की से शादी करके ही वापस जाऊँ, पर मैंने माँ से बात कर ली है, मैं तुम्हें लेने आ रहा हूँ । तुम्हें उनसे मिलाकर हम दोनों के प्यार व शादी करने की बात बता दूँगा। बस तुम मुम्बई एयरपोर्ट पर दो घण्टे के अन्दर पहुँचो, समय कम है। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।

नताशा भी अपने माँ से बात कर घर से निकली पर एयरपोर्ट तक कभी पहुँच ही नहीं पाई। उस दिन ना जाने ईश्वर को ही मन्जूर नहीं था, उन दोनों का साथ होना। उस दिन इतनी जोर की बारिश हुई कि सारे रास्ते ठप पड़ गये, ना ही फोन से बात हो पाई। शाम के ढ़लते ही नताशा घर लौट आई, पर बारिश ने थमने का नाम ही नहीं लिया।

आज वरूण की शादी के दो साल हो गये। वो ना चाहते हुए भी विवाह के बन्धन में बँध गया। नताशा आज बारिश की बूँदों से बेहद नफरत करती है। आज इनकी वजह से उसका प्यार अधूरा रह गया, पर उसने अपनी जिन्दगी को थमने नहीं दिया। शादी नहीं की पर आज एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका बन बच्चों को अच्छे संस्कारों का पाठ पढ़ा रही है। 

वरूण और नताशा का प्यार तो अधूरा ही रह गया, पर उन्होंने अपनी वास्तविकता से मुँह नहीं मोड़ा और परिवार और समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का बखूबी निर्वाहन किया।

मेरा मानना है कि जो होता है ईश्वर की मर्जी से होता है। यदि नियति को हम ना बदल सकें तो हमें नियति के हिसाब से खुद को बदल लेना चाहिए।

आज की स्टोरी में इतना ही। 

अपना ख्याल रखें।

Image:Google

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

इन्तजार

 

INTEZAR IN HINDI - EK NAI DISHA


संजय और सीमा एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। प्यार काॅलेज के समय से था। दोनों में बहुत सामन्जस्य था, एक-दूसरे की हर पसन्द-नापसन्द को बखूबी समझते थे। इसलिए पढ़ाई पूरी कर दोनों ने शादी का फैसला लिया तो दोनों के परिवार वाले राजी भी हो गये। पर शादी भी झटपट हो गई, जैसे कि कायनात इन दोनों को मिलाने के लिए जुट गई हो। 

दोनों का विवाह हो जाने के बाद सभी बहुत खुश थे। दिन बीते, महीने बीते, साल बीते और जैसा हर शादी के बाद होता है- उन दोनों पति-पत्नि में भी छोटे-मोटे झगड़े होना शुरू हो गये। प्यार तो खत्म ही हो चुका था। बस बची थी-नाराजगी। कभी छोटे-छोटे कारणों पर झगड़े होते तो कभी झगड़े का कारण भी पता नहीं चल पाता था।

संजय अपने ऑफिस  जाकर घर की समस्या को अपने काम और अपने साथियों के बीच भूल जाता था। पर सीमा उसी ऊहापोह में सारा दिन बिताती थी, जिसकी वजह से वह बहुत बीमार रहने लगी थी। उसकी सेहत दिन-ब-दिन गिरती जा रही थी। उसकी पड़ोस में रहने वाली आण्टी ने उसे सलाह दी कि किसी डाॅक्टर को दिखा दो- तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही है।