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सोमवार, 20 दिसंबर 2021

डायरी के पन्नों से - 6

सर्दियों का मौसम भला किसे पसन्द नहीं होगा, पर अगर इसमें देखभाल न की जाये तो त्वचा रूखी व बेजान हो जाती है। यहाँ कुछ छोटे से टिप्स से हम अपनी त्वचा की निखार व रौनक बरकरार बनाएँ रख सकते हैं-

1.सप्ताह में एक बार स्क्रबिंग जरूर करें, इससे त्वचा की मृत कोशिकाएँ निकल जाती हैं।

2.सर्दी में त्वचा बहुत रूखी हो जाती है, जिसकी वजह से त्वचा के रोम-छिद्र बन्द हो जाते हैं। इस वजह से साँवली दिखने लगती है। इसलिए सर्दियों में त्वचा की साफ-सफाई अच्छे से करनी चाहिए। 

3.सर्दियों के दिनों में त्वचा की अच्छी देखभाल के लिए अपने आहार पर भी ध्यान दें।

4.त्वचा में निखार लाने के लिए प्रतिदिन एक या दो बार ग्रीन-टी का सेवन जरूर करें।

5.सर्दियों में समय-समय पर क्ंिलजिंग व टोनिंग करीे रहें।

6.अगर सुबह के समय आपके पास समय की कमी रहती है, तो रात में क्लीन्सिंग  मिल्क से त्वचा की सफाई अवश्य करें।

7.प्रतिदिन स्नान करने से पूर्व हाथ और पैर की मालिश अवश्य करें।

8.सप्ताह में 2-3 बार अपने एड़ी की सफाई अवश्य करें। 

9.ज्यादातर लोगों का मानना है कि सर्दियों में सनस्क्रीन लोशन को जरूर लगायें।

10.सर्दी के दिनों में सप्ताह में कम से कम एक या दो बार स्क्रबिंग जरूर करें, जिससे त्वचा की मृत कोशिकायें बाहर निकल जायें और त्वचा में निखार आ जाये।

11.रात को सोते समय हेड-लोशन का प्रयोग करें, हाथ सॉफ्ट ही रहेंगें।


बुधवार, 1 दिसंबर 2021

काँच या पत्थर

 

KAANCH YA PATHAR - EK NAI DISHA

पारूल आज सुबह से ही बहुत परेशान थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें ? वो गुमसुम सी हो कर अपने काम को किये जा रही थी। पर काम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी पीछे से उसके पति ने उसे आवाज दी- क्या बात है ? आज बहुत बिजी हो। तुम्हारा काम खत्म ही नहीं हो रहा और ये क्या ? तुम तो जादू की सब्जी बना रही हो ! ऐसी सब्जी तो मैं कैसे हजम कर पाऊँगा ? 


अपने पति की बात सुन पारूल ने नजर नीचे की ओर करके देखा । वह तो खाली कड़ाही में कल्छी घुमा रही थी। अजय उसके मन की परेशानी समझ गया था कि पारूल के मन में किसी बात की ऊथल-पुथल चल रही है। कोई बात हएै जो उसे बहुत परेशान कर रही है। उसने पारूल का हाथ पकड़ कर किचन से ड्राइंग-रूम में सोफे पर बिठाया और उसके कन्धे पर हाथ रख कर पूछा- क्या परेशानी है ? मुझे बताओ। सारे काम को रहने दो, बाद में होंगे। परेशान रहोगी तो न काम ठीक से कर पाओगी और चीनी वाली सब्जी मुझे ही खानी पड़ेगी। 


अजय की बात सुनकर पारूल ने एक ठण्डी साँस ली। अजय की बातों से उसके उलझे मन को थोड़ी राहत मिली। उसने प्रकृति को कोटि-कोटि धन्यवाद दिया कि उसे अजय जैसा सुलझा और समझने वाला पति मिला है। वो अपने-आप को बहुत सौभाग्यशाली समझ रही थी।


उसकी सोच को अजय ने, चुटकी बजाकर, अपनी ओर खींचा। अजय ने कहा- मुझसे अपनी परेशानी कहोगी तो तुम्हारा मन हल्का हो जायेगा। पारूल ने अजय की बात सुनकर उससे कहा-आपको याद है, मेरी सहेलियाँ जया और रीना ! हम तीन सहेलियाँ आपस में कितने ज्यादे घनिष्ठ थे। हम तीनों की जोड़ी जग-जाहिर थी। जया, जो अमीर घराने से थी, नाजों में पली थी, थोड़ी सी भी परेशानी होने पर बहुत परेशान हो जाया करती थी और मैं मध्यम परिवार की थी। मेरे परिवार में बहुत चीजें तो नहीं हुआ करती थीं, पर किसी चीज की कमी भी नहीं थी। और वहीं, इसके विपरीत, रीना, जो बेहद गरीब घर से थी, वो अपनी माँ के साथ दिन-भर सिलाई का काम करके दो जून के खाने का बामुश्किल जुगाड़ कर पाती थी।