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रविवार, 29 मई 2022

आईना

 

AAINA IN HINDI - EK NAI DISHA

क्या आप सभी अपने बारे में जानते हैं ? क्या आप ये बता सकते हैं अपनी सच्चाई कि हम क्या हैं और आप अपने जीवन में क्या कर रहें हैं और आपका जीवन किस  दिशा में जा रहा है ? आपकी अपनी सोच, अपनी अभिलाषा, जीने का मकसद, और ऐसा सभी कुछ !

आप में से कुछ लोग कहेंगे- बेशक ! हम अपने बारे में सब कुछ जानते हैं, जीवन का मकसद भी और उद्देश्य भी। पर शायद नहीं। हम अपने बारे में कुछ भी नहीं जानते। बस एक रेस में लगे हैं, हम सभी - एक दूसरे को पीछे करने की रेस में और इस प्रतिस्पर्धा में हम ये भूल ही जाते हैं कि हमारे जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है ? क्या कभी आप ने इस विषय पर मनन-चिन्तन किया ? 

नहीं ना ! 

आप कर भी नहीं पायेंगे, क्योंकि हम सभी ने एक दिखाने का मुखौटा पहन रखा है और इस मुखौटे को उतारने से डरते हैं। आपने कभी आईना देखा है, वो कभी भी झूठ नहीं बोलता । शायद यही वजह है कि लोगों के चेहरे की वो सादगी कहीं खो सी गई है ?

सभी के चेहरे रंगे होते हैं। सभी ने अपने चेहरे को मुखौटों से ढँक कर रखा है- खुद से दूर। बोलते हैं कि आईने में खुद को उसी झूठ के रंग में रंग लेते हैं। पर आप उस अपने चेहरे से शायद खुद ही अन्जान हैं। 

क्या आप सभी को अपना बचपन याद है ? वो बचपन, जो सभी बात में बेफिक्र था। वो बचपन, जो हमने अपने दोस्तों, भाई-बहनों, साथियों के साथ जीया- ना साफ-गन्दे कपड़ों की सुध, न खाने-पीने की सुध, ना ही किसी डाँट-डपट की चिन्ता और ना ही बोली-भाषा का दिखावटी मुखौटा। ना ऊँच-नीच का फर्क। ना अहम् ना अहंकार। मिट्टी लगे पाँव व मैले चेहरे । 

पर हमने शायद ही बचपन में आईना कभी देखा होगा। कभी जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि हम जैसे थे, वैसे ही अच्छे थे। सादगी भरे सच्चे चेहरे। हम सभी बेहद सन्तुष्ट थे, खुश थे। पर आज क्या हम खुश हैं, सन्तुष्ट हैं, निडर हैं।