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गुरुवार, 3 मार्च 2016

कर्मयोग

Karmyoga in Hindi

वह काम जो तबियत से  किया जाये  ,मन लगाकर किया जाये  और  निष्ठा के साथ किया जाये , तो वह काम कम पूजा ज्यादा बन जाता है। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। जिस कार्य के द्वारा हमारे परिवार का भरण-पोषण अच्छे से हो जाये ,वह काम किसी साधना से  कम नहीं  है। इस सन्दर्भ में मुझे एक कहानी याद आती है, जो हमें यह सिखाती हैं कि वास्तविक योग साधना क्या होती है ?

एक तपस्वी थे। जंगल में तप कर रहे थे। उनको तप  से शक्तियाँ प्राप्त हो गईं। उन्होंने जैसे ही आँख उठा कर पेड़ को देखा , पेड़ पर बैठी चिड़िया जलकर भस्म  गई। उनको अभिमान हो गया की वो बहुत  बड़े योगी हैं।  एक घर में भिक्षा मांगने गए। स्त्री अपने पति, जो बीमार था. उसको खाना खिला रही थी। स्त्री ने कहा ,"अभी ठहरिये ! मैं योगाभ्यास  कर रही हूँ। पूरा करने के बाद आपको भोजन कराऊंगी।" योगी जी ने खिड़की से आँख उठाकर देखा और बोले "तू तो कह रही है कि योग अभ्यास कर रही है, मगर तू  अपने पति को तो रोटी खिला रही थी।" स्त्री बोली,"बाबाजी चुप होकर बैठ जाइये, मैं कोई चिड़िया नहीं जो आप मुझे जला देंगे।" जब वह सेवा करके आई तो उसने बाबा जी को भिक्षा दिया।