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सोमवार, 1 मार्च 2021

अंतर्मुखी

ANTARMUKHI IN HINDI


इस बात को हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। हमे आँख, नाक, मुख, हाथ-पैर और जुबान तो जन्म से मिल जाते है, बस उनके विकास और अनुपात में वृद्धि होती है। पर एक ऐसी चीज जो इस दुनिया में अनमोल है, जो हमें ईश्वर के द्वारा नहीं बल्कि अपने चित्त और विवेक से प्राप्त होती है - वो है हमारा स्वभाव,  हमारा सभी के साथ पेश आने का तरीका, जिससे उस व्यक्ति की पहचान, नाम से कहीं ज्यादा उसके बर्ताव से दूसरे व्यक्ति के मन मस्तिष्क में गहरी छाप छोड़ जाते हैं। जिसे हम 'सुव्यवहार' भी कह सकते हैं।


ऐसा वास्तविक में है और हम सभी ने देखा होगा कि किसी-किसी का स्वभाव होता है कि कुछ लोग अपने मन की बात को किसी के साथ सहजता से शेयर कर देते हैं और कुछ लोग ऐसे व्यवहार के भी होते हैं जो अपने भीतर अथाह बातों को सँजोकर रखते चले जाते हैं। जैसे मन ना हुआ स्टोर-रूम हो गया, जहाँ हम अपने पुराने सामानों को सहेज देते हैं। ऐसे व्यक्ति 'अंतर्मुखी' होते हैं, उनके भीतर की झिझक उनको किसी के सामने अपने दिल की बात रखने ही नहीं देती। उनके दिल में इतना डर समाया रहता है जिसकी वजह से वह अपने मन की बातें किसी से शेयर करना ही नहीं चाहते हैं। पर यहाँ मैं आप सभी से ये कहना चाहती हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति को यह बात समझना बहुत आवश्यक हैं कि अपने व्यवहार में सन्तुलन रखना हमारे ही वश में होता है। हमें ना तो अधिक 'अंतर्मुखी' होना चाहिए और ना ही बहुत अधिक 'बहिर्मुखी'।

मंगलवार, 2 अगस्त 2016

पत्थर दिल

Pathar Dil in Hindi

हम सभी ने ये बात सुनी होगी कि एक पुरुष की कामयाबी के पीछे एक महिला का हाथ होता है। वो महिला उसकी माँ ,बहन ,पत्नी ,दोस्त या फिर टीचर हो सकती है। पर क्या आपने कभी ये कभी सुना है कि किसी महिला की कामयाबी के पीछे किसी पुरुष का हाथ है ? नहीं ना ! मैंने भी नहीं सुना है। यहाँ तक कि  ये बात किसी मैग्जीन या न्यूजपेपर में भी नहीं पढ़ी। जब एक महिला  सफल होती  है तो उसका पूरा श्रेय हम उसी महिला की मेहनत ,लगन व प्रतिभा को  देते हैं। उसकी सफलता के पीछे किसी पुरुष का हाथ हो सकता है, ऐसी बात हमारे दिलों -दिमाग में कोने - कोने तक कही आती ही नहीं है। ना ही हम सभी ये जानना चाहते हैं।

जबकि बचपन से एक शक्ति हम सभी महिलाओं का साथ निभाते चली आई है। उसके  भी कई रूप है- पिता ,भाई ,दोस्त या फिर पति। ये शक्तियाँ निरन्तर सुरक्षा की दीवार बनकर सदा हमारा साथ निभाती आई हैं। हर पल हमारा ख्याल रखती हैं, चाहे कैसी भी मुश्किल क्यों ना हो ? पहले उसे इस मजबूत दीवार से टकराना होता है, उसके बाद ही वह हमारे तक आ सकती हैं। 

शनिवार, 18 जून 2016

अपरिपक्वता

Aparipakvata in Hindi

हमने बच्चों को अक्सर खेलते हुए देखा होगा। कितनी ऊर्जा होती है उनके भीतर ! दिनभर हँसते  मुस्कुराते रहते है। उनके नन्हे कदम दिन-रात दौड़ते रहते हैं,फिर भी नहीं थकते। बच्चों के चेहरे देखकर ऐसा लगता है, जैसे ईश्वर ने उन्हें सारी खुशियाँ दे दी हैं। वो कितनी सुकून भरी जिंदगी जीते हैं ! बच्चों के वह खेल -खिलौने, वह बोतलों के ढक्क्न ,वह माचिस की डिबिया ,वो नन्हे बर्तनों का पिटारा ,छोटी सी कार जिसमें दुनियाँ की सैर करते रहते हैं। बच्चों का जीवन भी क्या जीवन होता है ! हर कार्य को करने का कितना उत्साह भरा होता है उनमें !  पर ये ऊर्जा बड़े हो जाने पर कहाँ  खो जाती है ? 

हमने नन्हे बच्चे को देखा होगा,  जो अपने पराये का भेद नहीं जानते। जरा सा किसी का इशारा क्या मिला, खिलखिला कर हँस देते हैं। वो मासूम मुस्कराहट ऊँच -नीच ,गरीबी -अमीरी ,अपने -पराये से कितनी अछूती है। और हम बड़े जब भी किसी से बात करते हैं, तो हम हमारे मन में मंथन करते रहतें हैं कि वह कैसा है ? हमारा क्या लगता है ? उसका स्टेटस कैसा है ? वगैरा -वगैरा। 

गुरुवार, 3 मार्च 2016

कर्मयोग

Karmyoga in Hindi

वह काम जो तबियत से  किया जाये  ,मन लगाकर किया जाये  और  निष्ठा के साथ किया जाये , तो वह काम कम पूजा ज्यादा बन जाता है। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। जिस कार्य के द्वारा हमारे परिवार का भरण-पोषण अच्छे से हो जाये ,वह काम किसी साधना से  कम नहीं  है। इस सन्दर्भ में मुझे एक कहानी याद आती है, जो हमें यह सिखाती हैं कि वास्तविक योग साधना क्या होती है ?

एक तपस्वी थे। जंगल में तप कर रहे थे। उनको तप  से शक्तियाँ प्राप्त हो गईं। उन्होंने जैसे ही आँख उठा कर पेड़ को देखा , पेड़ पर बैठी चिड़िया जलकर भस्म  गई। उनको अभिमान हो गया की वो बहुत  बड़े योगी हैं।  एक घर में भिक्षा मांगने गए। स्त्री अपने पति, जो बीमार था. उसको खाना खिला रही थी। स्त्री ने कहा ,"अभी ठहरिये ! मैं योगाभ्यास  कर रही हूँ। पूरा करने के बाद आपको भोजन कराऊंगी।" योगी जी ने खिड़की से आँख उठाकर देखा और बोले "तू तो कह रही है कि योग अभ्यास कर रही है, मगर तू  अपने पति को तो रोटी खिला रही थी।" स्त्री बोली,"बाबाजी चुप होकर बैठ जाइये, मैं कोई चिड़िया नहीं जो आप मुझे जला देंगे।" जब वह सेवा करके आई तो उसने बाबा जी को भिक्षा दिया। 

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

इंसानियत

Insaniyat in Hindi

आजकल, मैं जब भी न्यूज़ पेपर के पन्नों को पलटती हूँ , तो मुझे हर रोज चोरी ,मार  -पीट की खबरें ही पढ़ने को मिलती हैं । कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब ऐसी घटनाओं की खबर न्यूज़ पेपर में न छपे। कभी चेन स्नैचिंग , तो कभी एटीएम में चोरी की कोशिश । यहाँ तक की कई आरोपी घरों में घुस कर डाका डालते है और सफलता में बाधा आने  पर लोगो की जान तक ले लेते है। क्या हो गया है, हमारे समाज के लोगों को ? दिलों में  इंसानियत ख़त्म कैसे होती जा रही है ?

 तभी मुझे उस दिन की स्मृतियों ने घेर लिया, जिस दिन  मैं और मेरी बहन कॉलेज जाने के लिए तैयार हुए थे । हमें कॉलेज में एडमिशन फार्म लेने जाना था। पिता जी से हमने 500 रूपए लिए और निकल गए। कॉलेज में हमने 100 -100 रुपए के फॉर्म खरीदे ,फिर वापस घर जाने के लिए निकले। मेरी बहन को कुछ और भी खरीदारी करनी थी और हमने मार्केट से कुछ सामान खरीदा। फिर उसने अपनी पायल, जो साफ करने को सोने -चांदी की दुकान पर  दी थी, उसे भी ले लियाऔर पर्स में रख लिया ।