सुख और दुःख जीवन के महत्वपूर्ण पहलू है। जब बच्चा जन्म लेता है , तो माँ को न जाने कितने कष्टों का सामना करना पड़ता है और उसके आँख खोलते ही सारे दुःख ख़ुशी में परिवर्तित हो जाते है। संसार में जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति इस सुख -दुःख के चक्कर से बच नहीं सका है। जब कभी हम दुखी होते हैं , तो हम बहुत अधिक निराश हो जातें हैं। हमें लगता है कि ये समय कब बीतेगा ,कैसे बीतेगा।
और जब हम खुशियों के दिनों को एन्जॉय करते है तो हम अपने उन दिनों का स्मरण भी नहीं करना चाहते है। मगर ये सुख -दुःख हमारे जीवन की परछाईयाँ है, जिनसे हम कभी भाग नहीं सकते और जब हम जीवन में आये मुश्किलो से घिर जाते है तो तभी हमें अपने और परायों की परख होती है। क्योकि जो लोग हमारे अच्छे दिनों के साथी होते है उनमें से ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं , जो परेशानियों में हमसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ लेते हैं।