हम सभी ने ये बात सुनी होगी कि एक पुरुष की कामयाबी के पीछे एक महिला का हाथ होता है। वो महिला उसकी माँ, बहन, पत्नी, दोस्त या फिर टीचर हो सकती है। पर क्या आपने कभी ये कभी सुना है कि किसी महिला की कामयाबी के पीछे किसी पुरुष का हाथ है, नहीं ना ! मैंने भी नहीं सुना है। यहाँ तक कि ये बात किसी मैग्जीन या न्यूजपेपर में भी नहीं पढ़ी। जब एक महिला सफल होती है तो उसका पूरा श्रेय हम उसी महिला की मेहनत, लगन व प्रतिभा को देते हैं। उसकी सफलता के पीछे किसी पुरुष का हाथ हो सकता है, ऐसी बात हमारे दिलों -दिमाग में कोने-कोने तक कही आती ही नहीं है। ना ही हम सभी ये जानना चाहते हैं।
जबकि बचपन से एक शक्ति हम सभी महिलाओं का साथ निभाते चली आई है। उसके भी कई रूप है- पिता ,भाई ,दोस्त या फिर पति। ये शक्तियाँ निरन्तर सुरक्षा की दीवार बनकर सदा हमारा साथ निभाती आई हैं। हर पल हमारा ख्याल रखती हैं, चाहे कैसी भी मुश्किल क्यों ना हो ? पहले उसे इस मजबूत दीवार से टकराना होता है, उसके बाद ही वह हमारे तक आ सकती हैं।
हम सभी अपनी माँ से बेहद प्रेम करते हैं और हमारी माँ भी हम पर अपनी ममता दिन रात लुटाती रहती है। हमने कभी भी अपनी माँ को खुद के लिए कड़क लहजे में पेश आते नहीं देखा ,कभी माँ से डांट नहीं खाई। कितनी अच्छी और लविंग होती है ये माँ। माँ के व्यवहार को हम ममता का नाम देते हैं। पर जब पिता की बात होती है तो सभी यही कहते है कि पिता हमें प्यार नहीं करते, हमेशा डांटते रहते है। हमारे हर काम में पुलिस की तरह पूछ -ताछ करते हैं। पर एक पिता की कीमत वही शख्स समझ सकता है , जो इस अमूल्य दौलत से महरूम है।