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गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

हमारी सेहत

Hamaari Sehat in Hindi
विश्व स्वास्थ्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे ठीक  पहले मोटापे को लेकर बेहद चौका देने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार दुनिया भर में मोटापा युवाओं को बड़ी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। 2014 तक के आंकड़ों पर आधारित यह रिपोर्ट मेडिकल जनरल दि लैसेंट में प्रकाशित हुई थी। इसके अनुसार 2025 तक हर पाँचवा युवा मोटापे की आगोश में होगा, जिसमें 18 % पुरुष व 21 % महिलाएं होंगी।

आप बी एम आई के द्वारा  खुद पता लगा सकतें है कि मोटापे की खतरे की रेखा के ऊपर हैं या फिर नीचे। ,यह जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको अपनी लम्बाई के वर्गमीटर का अपने वजन (किलो ग्राम ) में भाग देना होगा, जिससे आपको अपना बी एम आई प्राप्त हो जायेगा। (जैसे किसी व्यक्ति की लम्बाई 5 वर्गमीटर है और वजन 70 किलो ग्राम तो 70 /5 =14 तो इस प्रकार उस व्यक्ति की बी एम आई 14 होगी।)
इसमें आये परिणाम के द्वारा अपनी खतरे की अवस्था का पता लगाया जा सकता है--

सोमवार, 4 अप्रैल 2016

नये-पुराने

Naye Purane in Hindi

कंकड़ -एक छोटा सा टुकड़ा ,जो शिला से टूटकर अलग हो जाने से स्वतः ही बन जाता है। जो अपने अस्तित्व की पहचान बनाने के लिए निरन्तर प्रयास करता रहता है। एक शिला, जो की गढ़े जाने के बाद  धर्म और आस्था की प्रतिमूर्ति बन  जाती  है,  पर हमारा ध्यान उस  नन्हें कंकड़  पर नहीं  जाता है, जो उस  शिला का हिस्सा था, जिसे छीनी हथौड़े की चोट से अलग कर दिया जाता है।  क्या कसूर  होता है उसका ? कुछ लोगों  का जीवन भी  उस छोटे से कंकड़ के सामान ही होता है, जो निरन्तर अपने अस्तित्व की तलाश में प्रयत्नशील रहता है।

मैं सोचतीं हूँ कि क्या  सिर्फ ऊँचे कुल में जन्म ले लेने मात्र से कोई महान  व्यक्ति  जाता है ? क्या वो सारे  गुण उस व्यक्ति के  व्यवहार में स्वतः ही आ जाते हैं ? नहीं। मेरा मानना है कि व्यक्ति के सुन्दर व्यक्तित्व और अच्छे मन का आइना उसके अच्छे कर्म होते है। यही सब उसके व्यक्तित्व की एक पहचान बनाते हैं। जो लोग ऐसा सोचतें हैं कि ऊँची जात, ऊँचे कुल में जन्म ले लेने मात्र से ही उनका भाग्योदय हो जाता है, तो उनकी ऐसी सोच गलत है। अपने कर्मों  द्वारा  व्यक्ति दूसरों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है, जो जीवन पर्यन्त नहीं मिटती।  हमें अपने कर्मों पर हमेशा भरोसा  रखना चाहिए।  क्योंकि कर्मो के द्वारा ही हम अपने भाग्य को संवार सकते है।  समय का क्या है, वह कभी एक जैसा नहीं रहता।

बुधवार, 30 मार्च 2016

क़सक

Kasak in Hindi

"बाबा ! अगर मैं मर गई, तो इन दहेज़ के लालचियों को सजा जरूर दिलवाना। मेरी लाश को सफ़ेद कफ़न में ओढ़ाना। मैं अब किसी की सुहागन नहीं हूँ। मैं एक विधवा हूँ।"

प्रेमा की लिखी बातें पढ़कर पिता की आँखें नम  हो गईं। दिल में बस यही कसक रह गई  थी कि काश ! उस रात   फोन उठाया होता तो, प्रेमा आज अपने बाबा के साथ होती।

 प्रेमा अपने पिता की लाडली बेटी थी,जैसे  हर बेटी अपने पिता के जीवन का प्यारा हिस्सा होती है। प्रेमा की  माँ का स्वर्गवास तभी हो गया था,जब वह 4 वर्ष की थी।  वह अपने पिता से माँ और बाबा दोनों का प्यार पाती थी। प्रेमा के बाबा ने उसे कभी भी माँ की कमी महसूस नहीं होने दी। अब प्रेमा ग्रैजुएट हो गई थी। प्रेमा की शादी की चिंता उसके बाबा को सताने लगी, मगर प्रेमा और पढ़ना चाहती थी। बाबा के कहने पर वो शादी के लिए राजी हो गई । शादी की बात चलते ही, प्रेमा बहुत उदास रहने लगी थी। उसे अपने बाबा की चिंता थी कि  उसकी शादी के बाद उनका ख्याल कौन रखेगा ?

सोमवार, 28 मार्च 2016

तनाव से मुक्ति कैसे पाएँ ?

How to Remain Tension Free ?

तनाव हम सभी के जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा  है। कभी -कभी हम इसकी  गिरफ्त में इतनी ज्यादा आ जातें हैं ,जो  हमारे लिए हर  तरह से नुकसानदायक होता है। कई बार तो हमें ये ज्ञात भी नहीं हो  पाता  है कि  हमें तनाव है। इसलिए इसे समझकर इससे निजात पाना बहुत जरुरी  है। नीचे तनाव दूर करने के कुछ नायब तरीकें है, जो तनाव की स्थिति को काबू में करने  व  उसको दूर करने में सहायक सिद्ध होंगे -

-आप अपने विचारों का मूल्यांकन करें, इससे आपकी चीजें साफ और स्पष्ट होंगी। आपको अपने लक्ष्यों को पानें व साफ  देखने में मदद मिलेगी।

-समस्याओं के बारें में जानना ही काफी नहीं है ,जरुरी यह भी है कि  सही व साइंटिफ़िक तरीके से समस्या को समझ कर उसे दूर किया जाय।

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

सकारात्मक सोच

Sakaratmak Soch in Hindi

आजकल जहाँ कही भी देखिये, लोगों में एक बात सबसे कॉमन  रूप से देखने को मिल जाती है और वो है कि -- दूसरों में दोष निकालना। चाहे वह व्यक्ति किसी भी उम्र का क्यों न हो, दूसरों पर  दोषारोपण करने की आदत सभी की हो गई है। हमें दूसरों में दोष ही दिखाई देता है और उनकी कमी का पता चलते ही हम उसका मजाक बनाने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसी भावना  हमारे मन में क्यों आती है ? क्या कोई व्यक्ति सर्वगुणसम्पन्न  होता है ? सभी में एक न एक कमी अवश्य ही होती है। 

जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तो वह सिर्फ खाना ,रोना और नित्य कर्म को ही  जानता है। मगर दुनिया में आँख खोलने के बाद माता -पिता और समाज की सहायता के द्वारा ही जीवन जीने के गुणों और व्यवहारों को सीखता है। फिर हम किसी व्यक्ति का  दोषारोपण  कैसे करे सकते है, जिसको हमने खुद ही साँचे में ढाल  कर निकाला है। अगर किसी में कोई दोष है, तो उस पर हँसने वालों की कोई कमी नहीं है। और जिसका मजाक बनाया जाता है, उसके मन पर क्या बीतती है इसके बारे में कोई सोचता तक नहीं है। अगर हम एक बार खुद के अंदर झांक कर देखते हैं तो क्या हमारा दिल हमें सबसे बेस्ट मनाता है ? ये जवाब हम खुद से नहीं पूछ सकते हैं, क्योंकि खुद की खामियों को स्वीकारनें के लिए बहुत बड़े जिगर की जरुरत होती है, जो सभी में नहीं होता है।  मगर जो खुद की कमियों को स्वीकारतें है, वह ही  उसको दूर करने में सफल भी होतें हैं।