क्या होता है प्यार ? इसकी एक अद्धभुत छवि हमारे मन-मस्तिष्क में हमेशा विद्यमान रहती है और जब 'प्यार' लब्ज़ हमारे कानों में पड़ता है तो हमारी इन्द्रियाँ भावुक हो जाती हैं, हमारा हृदय कोमल हो जाता है और बात जब पहले प्यार की हो तब ? पहले प्यार के अहसास से शायद ही कोई शख्स अछूता होगा। इस पहले प्यार की भावना ने सभी के दिल में कभी ना कभी दस्तक जरूर दी होगी। पहले प्यार की बात आते ही हम अपने अतीत को खंगालने में लग जाते हैं। इसकी स्मृतियाँ ना जाने कितने समय तक हमें घेरे रहती हैं। हमारे ह्रदय को कभी ना कभी इस पहले प्यार के अहसास ने जरूर छुआ होगा, जो हमारे अविस्मृत पल हैं , जिनको शायद भूला पाना हमारे वश में नहीं है। अगर ये पल अच्छे होते हैं तो हमारे मन को सुकून पहुँचाते हैं और होठों को एक मुस्कुराहट दे जाते है। यदि बुरे अनुभव से हमारा वास्ता हुआ है, तो ये हमारे मन -मस्तिष्क को कष्ट भी पहुँचा जाते हैं।
पर ये पहला प्यार आखिर में होता क्या है ? क्या दिल में किसी के प्रति उठने वाली भावना को प्यार कहते हैं या फिर आकर्षण को ? क्या प्यार को उम्र के बंधन में बांधा जा सकता है ? नहीं ना।
'प्यार' लब्ज़ तो खुद ही किसी बंधन में घुटन महसूस करता है। क्या 16 -18 वर्ष में होने वाला प्यार पहला प्यार है ? किसी का रंग रूप ,शारीरिक बनावट ,पहनावा व स्टेटस देख कर प्यार किया तो क्या वह वास्तविक प्रेम है ? क्या इसे स्वच्छ मासूम प्यार की संज्ञा दी जा सकती है ? वक्त के साथ प्यार की ये सभी परिभाषायें परिवर्तित हो जाती है। ये सदा एक ही स्थिति में नहीं रहने वाली। प्यार करना ही है तो किसी के स्वच्छ विचारों और निर्मल ह्रदय से करना चाहिए। चेहरे से प्यार किया तो क्या किया ?
प्यार उम्र और रिश्तों का मोहताज नहीं होता । प्यार सिर्फ एक लड़के और एक लड़की के बीच नहीं होता है ,वो तो किसी से हो सकता है। एक माँ का अपने अजन्में बच्चे के प्रति ,एक पुरुष का अपने परिवार के प्रति ,माली का बगीचे के प्रति ,पशु -पक्षी के प्रति प्रेम के भाव को पहला प्रेम कहा जा सकता है। ऐसी भावनाओं के हमारे दिल की गहराईयों में बसने के बावजूद भी हम ऐसे प्रेम को समझ नहीं पाते।
राघव अपने पड़ोस में रहने वाली राधा से बेहद प्रेम करता था। मगर वह राधा के सामने अपनी दिल की बात जुबान पर कभी ला नहीं पाया। दिल में प्यार की भावना लिए 2 वर्ष गुजर गए। एक दिन राधा के पिता राघव के घर एक कार्ड ले कर आये और उन्होंने राधा की अगले माह में शादी की बात बताई और शादी में आने का सभी को निमन्त्रण दिया। राघव के दिल की बात दिल ही में दब कर रह गई। मगर राघव ने तय कर लिया था कि वो अपने प्यार को पा कर रहेगा। इसके बाद, उसने राधा के होने वाले पति से राधा के लिए उसके दिल में बेइंतहा प्रेम की बात बता दी।
फिर क्या था ? राधा की शादी कैंसल हो गई। राधा की बदनामी भी हुई। पर उसे उस लड़के का नाम नहीं पता चल सका, जिसकी वजह से उसकी शादी टूटी थी । राधा अब दुखी रहने लगी थी। एक दिन, राधव ने राधा का रास्ता रोक कर, हिम्मत कर के, उसे अपने दिल की बात बता दिया। राधा अब जान चुकी थी कि जिसकी वजह से राधा की शादी टूट गई वो लड़का कोई और नहीं बल्कि राघव ही था। उसकी आँखों में आसूं आ गए। उसने कहा,"तुम जानते हो तुमने क्या किया है ? मैं तुमको हमेशा से एक भाई और दोस्त की नजर से देखती आई हूँ। अब बताओ, एक बहन तुम्हारे बात का क्या जवाब दे ?" उस दिन से, राधा के प्रति राघव की नजर बदल गई और उसे अपने पुराने कर्मों पर भी पछतावा होने लगा।
लोग सच कहते है कि पहले सामने वाला व्यक्ति हमारे लिए कैसी चाहत रखता है, हमसे क्या चाहता है ,हमारे बारे में क्या सोचता है, ये जाने बगैर हमें अपने सपनों का महल नहीं बनाना चाहिए। प्यार के बारे में, हम सभी ने ना जाने कितनी घटनाएँ सुनी होंगी। पर किसी के थोड़ा सा समय साथ गुजर लेने से, या फिर ,बात कर लेने मात्र से हमें इसे 'प्यार' का नाम नहीं देना चाहिए। क्योकि प्यार कितना भी गहरा क्यों ना हो ,यदि वह एक तरफ से है, तो उसका कोई भविष्य नहीं है। इसलिए यह जरुरी है कि हमें सामने वाले की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और यदि सामने वाले शख्स की आपके प्रति वैसी भावना नहीं है तो हमें आगे नहीं बढ़ना चाहिये।
अक्सर ऐसी बातें जानकर दिल टूट जाता है और हम बहुत दुखी हो जाते हैं। पर एक बात हमेशा याद रखिये ! ईश्वर हमें हमेशा वो नहीं देते जो हमें अच्छा लगता है, बल्कि कभी -कभी जो हमारे भविष्य के लिए बेहतर होता है, वे , उसे हमें देते हैं। पर ऐसे दिल के टूट जाने से हमें दुखी नहीं होना चाहिए। क्योकि बादल टूटते हैं, तो धरती की प्यास बुझाते हैं ,फूल टूट कर आराधना के काम आते है ,बीज टूट कर सशक्त वृक्ष का निर्माण करते हैं। इसलिए जब कभी दिल टूट जाये, तो ये समझना बेहद जरुरी है कि अब हमारे जीवन में कुछ सार्थक होने वाला है, जो हमारे भविष्य के लिए उचित होगा।
तो मुस्कुराते रहें और जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करें।
Image-Google
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बेहतरीन लिखा है रश्मि जिन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा है रश्मि जिन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा है रश्मि जिन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रीतू जी, आपके अगले कॉमेंट का इंतेज़ार रहेगा..
हटाएं"पहला प्यार" जैसे जटिल विषय पर आपने बहुत ही शानदार नज़रिया प्रस्तुत किया है..इस लेख में आपने न केवल उन लोगों को एक सीख दी है, जो इसे समझ नही पाते और ग़लतियाँ कर बैठते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी इसमें एक सीख है..जो इसे सफल बनाना चाहते हैं...बेहद उम्दा रचना..बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंदीपा जी , बहुत ही अच्छी बात कही है आपने, ये बात सही है कि प्यार के चक्करों में पड़ कर बहुत से लोग अपनी जिंदगी के साथ बुरा कर बैठते हैं ,अगर मेरे पोस्ट से किसी को मार्गदर्शन मिल जाता है तो ये मेरे पोस्ट की सफलता होगी ,आपका कमेंट के लिए आभार ....
हटाएंरश्मि जी आपने प्रेम को जिस नजरिए से देखा है वास्तव में वही जीवन की सच्चाई है। आज के जमाने में सच्चा प्यार बड़ी मुश्किल से मिलता है। आपकी पोस्ट बहुत ही शानदार है। समाज में लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए। आपकी रचनाएं हमें बेहद पसंद आती हैं। आप ऐसे ही लिखते रहिए और आगे बढ़ते रहिए।
जवाब देंहटाएंआपको मेरी रचना पसंद आई,जानकार खुशी हुई ,कमेंट के ली धन्यवाद ...
हटाएंप्यार एक अनोखा अहसास है, हवा के मस्त झोंको सा, सुबह की ओस सा, पंछियों के कलरव सा। पर कितनों को नसीब हुआ है, सच्चा प्यार ? प्यार के नाम पर अधिकतर फरेब ही होते देखा और सुना है। आपने प्रेम को बड़े ही सहज तरीके से प्रस्तुत किया है। मेरी शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंमृत्युंजय
www.mrityunjayshrivastava.com
किशोर जी , अपना विचार देने के लिए आपका बहुत आभार .....
हटाएंकिशोर जी , अपना विचार देने के लिए आपका बहुत आभार .....
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