रिश्ते की डोर बहुत नाजुक होती है, जिसको बहुत संभाल कर रखना चाहिए। जिस प्रकार आकाश में उड़ती पतंग की डोर को अधिक ढीला छोड़ दिया जाय, तो वो उड़ने की बजाय जमीन पर गिरने लगेगी और जोर से खीचने पर डोर टूट जाएगी। उसी प्रकार रिश्तों के साथ भी जबरदस्ती की जाती है, तो उसके टूटने का डर रहता है, और यदि उसका ध्यान ना रखा जाय तो रिश्ते तनाव ग्रस्त होने लगतें हैं। रिश्ते बहुत महत्वपूर्ण होतें हैं। यदि हमारें रिश्ते मधुर है तो हम जिंदगी का पूरा मज़ा उठा सकतें है और उनमें अगर कड़वाहट आ जाये तो यह हमारा जीवन जीना मुश्किल कर देता है।
आज कल ऑफिस और परिवार के बीच ताल मेल बैठाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। जब हम छोटी -छोटी बातों के लिए सही गलत के झगड़े करते हैं, तो उन्हें सुलझाना कठिन हो जाता है। एक दूसरे के विचारों को भी ना समझ पाना रिश्तों में दूरियों की वजह बन जाता है। इस लिए यह जरुरी है कि दूसरें व्यक्तियों के विचारों को भी महत्व दिया जाय। उन्हें भी सुना व समझा जाय। इसी से रिश्तों में बढ़ रहीं दूरियों को कम किया जा सकता है। हमेशा हमें ये याद रखना चाहिए कि हमारे अपनों के रिश्ते अपनेपन और प्यार से संवरते हैं , न कि जबरदस्ती से। हमें रिश्तों को सँवारने के लिए सामने वाले की गलतियों को माफ़ सीखना होगा और यदि खुद से गलती हो जाती है तो माफ़ी मांगने में शर्म भी महसूस नहीं होनी चाहिये। अक्सर देखा गया है ,जो लोग शक्तिशाली होते हैं वह कम शक्ति वाले लोगों पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते रहते हैं।हमें सभी की भावनाओं को समझना चाहिए व उनकी कद्र करनी चाहिए।
राजस्थान के एक गाँव में एक ऐसा घर है जिसमे 100 सदस्यों का परिवार एक साथ रहता है। पूरे गाँव में वो परिवार प्रेम और आपसी जुड़ाव के लिए मशहूर है। एक बार, एक पत्रकार उनके घर आया। घर में पत्रकार ने परिवार के सदस्यों के साथ पूरा दिन बिताया और उसने देखा कि इतने ज्यादा सदस्य होने के वावजूद वहां प्रेम का वातावरण है। सभी साथ खाना खाते हैं और उन सभी के बीच अटूट रिश्ता कायम है। उस पत्रकार से रहा नहीं गया। वह घर के मुखिया से आखिर पूछ ही बैठा कि ,"आपके परिवार में प्रेम और एकता का राज क्या है ?" वह मुखिया जी बुजुर्ग होने के कारण बोलने में असमर्थ हो गए थे। उन्होंने एक कागज पर अपना जवाब लिख कर दे दिया। पत्रकार ने जब कागज खोलकर देखा ,तो वह आश्चर्य-चकित रह गया। उस कागज में लिखा था -"सहनशीलता, सहनशीलता और बस सहनशीलता !"
पत्रकार ने मुखिया की तरफ देखा तो वो मुस्करा रहे थे। सही बात है ,अगर हम अपने बच्चों को बचपन से ही सहनशील बनायें हमारे परिवार में कोई कड़वाहट नहीं आ सकती। क्योंकि हमारे रिश्ते को बनाने व बिगाड़ने के लिए हमारा व्यहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः हमें अपने प्रियजनों व परिवार के प्रत्येक सदस्यों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए उनका विश्वास जीतने की कोशिश करना चाहिए। क्योंकि विश्वास के धरातल पर ही रिश्तों की नींव टिकी होती है। सहनशीलता, प्यार ,प्रेमपूर्ण व्यवहार से ही रिश्तों की खूबसूरती दिन-ब-दिन निखरती जाती है , जिन्हें अपनाकर हम अपने रिश्तों को और अधिक मजबूत बना सकते हैं।
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aapki post bahut shandar hai
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंAaj ke samay me rishton ko nibhana bahut kathin kaam ho gaya hai.
जवाब देंहटाएंअपनों के बिना जीवन भी तो नहीं है
हटाएंअपनों के बिना जीवन भी तो नहीं है
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