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रविवार, 4 अप्रैल 2021

मूल्य जिंदगी का !

MOOLYA JINDAGI KA STORY IN HINDI


 सौम्या सुबह-सुबह बहुत ही परेशान थी। उसने न ठीक से नाश्ता किया और ना ही किसी काम में उसका मन लग रहा था। वह कभी इधर तो कभी उधर टहल रही थी। उसकी मनोदशा देखकर कोई भी जान सकता था कि वह बहुत परेशान है। पर क्या था उसकी परेशानी का कारण ? उसे यूँ परेशान उसकी माँ हमेशा ही देखती थी, क्योंकि छोटी-छोटी बातों पर परेशान होना उसका स्वभाव ही बन गया था। पर इस बार उसकी दादी माँ गाँव से उसके घर उसके पास रहने आई थी। 


दादी से सौम्या की परेशानी देखी न गई और उन्होंने सौम्या को अपने पास बुलाया और अपनी गोद में सौम्या का सर  रखा। सौम्या ने अपनी परेशानी दादी से कह दी।  उसने बताया कि उसने दसवीं व बारहवीं कक्षा तो बहुत ही अच्छे नम्बर  से पास कर लिया पर बी.ए. फस्ट ईयर की परीक्षा में  उसे फेल होने का डर लग रहा हैै। उसने कहा कि अगर वह  फेल हो गई तो वह अपनी जान दे देगी और ऐसा कहकर वह रोने लगी। दादी माँ ने उसे ऐसे परेशान कभी नहीं देखा था। 


उन्होंने एक दम से कहा,‘‘तो फिर बेटा परिणाम का इन्तजार क्यूँ ? अभी दे दो अपनी जान, खतम कर दो अपनी जिन्दगी। अगर तुम्हें अपने परिणाम पर भरोसा नहीं है तो इन्तजार किस बात का ? पर क्या तुमने कभी सोचा है

 कि तुम्हारे ऐसा करने से छोटों को क्या उदाहरण मिलेगा ? छोटे तुमसे क्या सीखेंगे ? ऐसी शिक्षा का क्या अर्थ जो इन्सान को जीवन की मुश्किलों से लड़ना ना सिखाये ? मैंने तो सुना है कि शिक्षा इन्सान को सबल व समझदार बनाती है, पर तुम्हें देखकर नहीं लगता है। शिक्षा तो हमें जीवन का मूल्य समझाती है, हमें हिम्मत व शक्ति देती है। तुमने कभी सोचा है कि यदि तुमने अपना जीवन-रुपी दीया बुझा दिया तो कितने ही सुन्दर भविष्य, जो तुम्हारा बाँह फैलाए इन्तजार कर रहे हैं, उनसे हाथ धो बैठोगी। बेटा ! कभी जीवन में फेल होने पर डर कर नहीं रुकते, न ही हारने के डर से बैठते हैं। ना जाने कितने ऐसे लोग हैं, जिन्होंने गिर-गिर कर उठना सीखा है और आज सफलता के बहुत ऊँचे मुकाम पर पहुँच गये हैं। अगर सभी ऐसे ही सोचते तो आज दुनिया में लोग नहीं बल्कि पेड़-पौधे ही होते, दुनिया वीरान हो जाती।’’




अपनी दादी की बात ने सौम्या के भीतर ऐसी हिम्मत की लौ जलाई, जिसकी लौ आज तक सौम्या के हृदय में जल रही है। आज वह एक अच्छे विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है और वह बच्चों को हिम्मत का पाठ पढ़ाना  नहीं भूलती, जो एक समय उसकी दादी ने उसे पढ़ाया था।


मैं इस कहानी के माध्यम से आप सभी से कहना चाहती हूँ कि छोटी-छोटी मुश्किलों से डर कर अपने जीवन को खत्म करने का सोचना गलत है। जीवन अमूल्य धन है और यह ईश्वर का हमें दिया हुआ अनमोल उपहार है। इसका मूल्य समझे और अपने जीवन को एक सार्थक दिशा दें।


 Image:Google

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