आज कल हम सभी को क्या हो गया है ? हम सभी किस अंधी दौड़ में शामिल होते जा रहे हैं ? हमारा सुबह उठने के बाद सिर्फ एक ही लक्ष्य हो गया है- कामयाबी और पैसा कमाना । पर क्या आपने कभी ये सोचा है कि जब हम सभी जीवन के ऐसे मोड़ पर पहुँचेंगे, जब हमें ये दोनों चीजें हासिल तो हो गई होंगी तो फिर हमें याद आएंगे हमारे वो बीते हुए अनमोल पल, जो हमने यूू ही भाग -दौड़ में गवां दिए और जब अपने बच्चों को अपनी Life Enjoy करते देखेंगे तो हमारा दिल खुद को क्या माफ़ कर सकेगा ?
हमारे चेहरे की सिलवटे हमसे सवाल करेंगी कि हमने खुद के खुशियों का गला क्यों घोट दिया ? क्या वो लम्हे हमें फिर से कोई जीने को दे सकता है ? नहीं ना ! ये हम सभी जानते व मानते है कि कही हुई बात और बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। तो क्या अपने और अपने दिल से अजीज लोगो के साथ हम सही कर रहे हैं ? अब कौन सा समय निकल गया है इस भाग-दौड़ की Life में कुछ मीठे पल हमारे उन अपनों के नाम कर दीजिये जिन्होंने अपने जीवन को हमारे लिए समर्पित किया है।
वो अपने दिल से जुड़े रिश्ते, जो हमसे कभी Salary ना ले कर सारी जिम्मेदारियों को बखूबी निस्वार्थ भाव से निभाते हैं और बदले में हम उनको क्या देते हैं ? क्या हमारा फर्ज नहीं बनता है कि हम उनका ख्याल रखे ? उनके होठों पर खुशी लाये।
ये तो सच्ची बात है कि मॅहगाई इतनी बढ़ गई है की सामान्य Income से जीवन की जरूरतें ही पूरी हो जाएँ, यही काफी है। पर खुशियाँ भी तो ज्यादा पैसो की मोहताज नहीं होती हैं। जब भी फुर्सत मिले घर में ही क्यों ना छोटी सी Party रखी जाय या Weekend पर अपनों के साथ खेल कूद या थोड़ी मस्ती की जाए। कैसा रहेगा अपनों के साथ ये पल ? जो हम ना जाने बर्षों से नहीं जिए। क्योकि हमारे पास Time ही नहीं है, जो हम किसी से कुछ कहे और कुछ सुनें।
मैं भी पहले घर गृहस्थी में खुद को इतना उलझा कर रखती थी और मेरे Husband भी अपने Office का काम करने में लगे रहते थे कि हमें एक दूसरे के साथ बात करने का मौका ही नहीं मिल पाता था। यहाँ तक की चाय भी साथ पिए जमाना हो गया था। एक दिन मेरे मन में ख्याल आया,"ये हमने अपने जीवन जो कैसा रूप दे दिया है ? क्या हम मशीन है ? ऊपर वाला भी हमें देखकर क्या सोचता होगा कि इतनी सुन्दर रचना की थी। इतनी भावनाएं जो अन्य किसी प्राणी में मैंने नहीं डाले, उसकी ऐसी दुर्गती ! ऊपर वाले ने हमें इंसान बनाया है। हमारे अंदर दिल है, जो धड़कता है और उसमे बेइंतहा भावनाएं है, जो खुश रहना चाहता है।"
उस दिन के बाद से हमने अपने दिल की सुनी और जब भी समय मिलता है तो हम अपनी Life को Enjoy करते है। एक -दो दिन बाहर गुजारते है और वापस आकर थकान के बावजूद एक अलग सी ऊर्जा की अनुभूति खुद में हम महसूस करते हैं। ऐसे अनमोल पलों से दिलों की दूरियां भी मिटती है। सभी को फुरसत के इस दो पल को जीने के लिए अपने दिल की जरूर सुननी चाहिए।
ये लम्हे कभी लौट कर नहीं आने वाले हैं। प्रश्न ये नहीं होना चाहिए कि अच्छे होटल ,अच्छे जगह या फिर महँगा खाना हो। प्रश्न तो बस इतना होना चाहिए कि अपनों के साथ ख़ुशी के कितने पल जियेंगे। अब सिर्फ मुस्कुराने या पढ़ने से काम नहीं चलेगा। अपनों के लिए कुछ समय निकालिये और बोरिंग जिंदगी में फिर ऊर्जा का संचार कर दीजिये।
अपने चाहने वालो के होठों पर ख़ुशी और सुकून ले आ कर , छा जाइये उनके दिलों पर।
इसी का तो नाम है -जिंदगी।
तो आप क्या समझे ?
है ना !
Image-Google
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Good going,.all the best !
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद
हटाएंGood going,.all the best !
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद ..
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