मैं आज बहुत खुश हूँ। आप सभी के विचार Comment के द्वारा मुझ तक पहुंच रहे हैं। आप सभी Viewers, जिन्होंने Comments किया और जिन लोगों ने नहीं किया उनका भी, तहेदिल से शुक्रिया !
छलावा - इसे हम आँखों का भ्रम भी कह सकतें हैं। कुछ चीजें ना होने पर भी हमें उनके होने का अहसास होता है और ये हमारी भावनाओं को भी कष्ट पहुँचा देती हैं। बहुत से ऐसे लोग होंगे, जो सामने वाले की Activity देखकर भ्रमित हो जाते हैं। उनको अच्छा या बुरा समझ लेते हैं और उनसे धोखा खा जाते हैं। तो क्या इसमें दोष किस व्यक्ति का होता है ? सिर्फ धोखा खाने वाले का या फिर धोखा देने वाले का भी । मैं ये जानती हूँ कि इस प्रश्न का उत्तर देना थोड़ा कठिन कार्य है। पर हमें खुद को इस भ्रम के चक्कर से बचाकर रखना चाहिए। ताकि कोई हमारा फायदा ना उठा सके व हमारी कोमल दिल की भावनाओं को कोई आहत ना कर सके।
आज मैं आप सभी के लिए एक मासूम दिल की Story लाई हूँ , जो वास्तविक है, जिसका मैंने नाम बदल दिया है। जाने अनजाने किसी से Match कर जाये तो माफ़ करियेगा। और इस Story में मैं आपकी राय भी जानना चाहती हूँ कि जो उस मासूम दिल के साथ हुआ क्या वह सही था ?
करन, जो बहुत ही सादगी पसंद लड़का था ,उसकी दुनियाँ उसकी माँ और उसकी किताबें थी। पढाई में वह इतना Brilliant था कि उसका Class में हमेशा First Position ही आता था। करन की Inter की पढाई पूरी हो गई थी। अब उसने Engineering में दाखिला ले कर, वहां भी अपने नये दोस्तों में उसने अपनी अलग पहचान बना ली। उसके सभी दोस्त उसको Topper कहते थे।
फिर एक दिन Class-Room में जैसे ही करन ने प्रवेश किया, उसकी नजरें एक लड़की पर पड़ी ,जो करन को देखकर एक अलग ही अंदाज में मुस्कुरा रही थी। वह लड़की देखने में बहुत खूबसूरत और Modern थी। उस दिन के बाद करन को ना जाने क्या हो गया था कि अब उसका मन पढ़ाई से दूर होता जा रहा था। रोज Class-Room में नजरें मिलाकर लड़की का मुस्कुराना चलता रहा। करन उस लड़की की ओर खींचा चला जा रहा था। धीरे-धीरे उसने Engineering की पढ़ाई पूरी की और इस बार करन Top Rank से पीछे रह गया।
पर करन के मन और दिलों दिमाग पर उस लड़की ने जैसे जादू कर दिया था। उसे अब पढ़ाई लिखाई सब बेमायने लगने लगे थे। करन अब उस लड़की से बात करने को बेताब व परेशान था। फिर एक दिन उस लड़की की दोस्त, जो हमेशा उसके साथ रहती थी, करन से बोली,"मैं तुम्हारी बात उससे करवा सकती हूँ। उसका नाम नेहा है।" करन को पहली बार अपने प्यार का नाम पता चला था। हाँ ! शायद करन को नेहा से प्यार ही हो गया था। नेहा की सहेली ने नेहा का Mobile Number उसको दिया और कहा कि तुम 12 बजे रात के बाद नेहा से बात करना। करन घर जा कर 12 बजने का इंतजार करने लगा। फिर करन ने कॉल लगाई। फोन में नेहा ने जो कहा उसको सुन कर करन के तो मानो कान ही खड़े हो गए।
Sundar prastuti..aage kya hua, mujhe iska intejaar rahega..aakhir neha ne karan se phone par aisa kya kaha ?
जवाब देंहटाएंaapka sukriya.
हटाएंSundar prastuti..aage kya hua, mujhe iska intejaar rahega..aakhir neha ne karan se phone par aisa kya kaha ?
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति। आगे के भाग का इंतजार है...
जवाब देंहटाएंaapka sukriya.
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