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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

मंथन

MANTHAN IN HINDI

 

आज कितने दिनों के बाद फिर से मेरी इस डिजिटल की-बोर्ड रूपी कलम ने मुझे पुकारा और कहा कि क्या तुम मुझे भूल गई ? मैं तुम्हारी पुरानी दोस्त, जो तुम्हारे हर खट्टी-मीठी यादों की साझीदार, मुझे आज फिर से अपने हाथों में थामों, मुझे फिर से अपने छुअन से जीवन्त होने का एहसास कराओ। 


बस फिर क्या था ! मैंने उतारा अपनी परेशानियों और फिक्र का थैला और फिर से अपनी कलम से कर ली दोस्ती और इस ब्लाग के माध्यम से आप सबके सामने अपनी लेखनी के साथ पुनः प्रस्तुत हो गयी। 


सच में, मैं अपने एहसास के माध्यम से यह बात बताना चाहती हूँ , जब भी हम परेशान होते हैं, हमें कुछ भी समझ में नहीं आता है और मन में कैसे-कैसे अच्छे-बुरे ख्याल हमें घेर लेते हैं, उस समय हमें एक अच्छे दोस्त की आवश्यकता होती है, जो हमें सुने, जिससे हम अपनी बातें कह कर अपना मन हलका कर सके। पर सभी इतने खुशनसीब नहीं होते कि ऐसा शख्स उनके पास हो, जिनसे वो अपना दुःख-दर्द मिल बाँट कर अपना मन हल्का कर सके। तो ऐसे में हमें खुद को अपना दोस्त बना लेना चाहिए। 


मंगलवार, 21 मार्च 2017

मजा नहीं आया !

Maja Nahi Aaya in Hindi

आज मैं अपने बचपन से जुड़ी एक घटना आप सभी के साथ शेयर करना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी तक एक संदेश पहुँचे, आपके मनोमस्तिष्क पर एक दस्तक हो, आप भी एक बार साहस करें और कहें कि मजा नहीं आया !

जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी, परीक्षा के बाद मेरी छुट्टियाँ हो जाती थी और इन छुट्टियों में मेरी बहन अपनी 3 साल की बेटी के साथ घर पर आ जाया करती थी। दीदी की बेटी रिया मुझे बहुत प्यारी थी और मैं भी उसकी लाडली मासी थी। वह रात को मेरे पास सोती थी, मुझसे कहानी सुनती थी और सो जाती थी। मैं भी उसे हर रोज कहानी सुनाया करती थी - कभी भालू की, कभी हिरन की, कभी शेर की और ना जाने क्या -क्या ! इसी तरह वह हमेशा कहानी सुनते -सुनते सो जाती थी। मुझे भी यह कार्य करके बहुत आनन्द आता था। मैं हर रात उसी कहानी को सुनाती और वह बच्ची सो  जाती। हर रात यही सिलसिला चलता था। 

शनिवार, 28 जनवरी 2017

डायरी के पन्नों से-4


                            पिछला पन्ना - डायरी के पन्नों से-3 


आजकल हम सभी अपने जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमारे पास टाइम की बहुत ही ज्यादा कमी है। इस भाग -दौड़ की जिन्दगी में, मेरे दिए हुए रोजमर्रा के  टिप्स को अपनाये और अपने जीवन की छोटी -छोटी मुश्किलों को चुटकियों में आसान बनाये।

-अंडे को फ्राई करते समय उसे थोड़ी हल्दी से कोट करें, आसानी से अंडे फ्राई  हो जायेंगे और उनका रंग भी निखर जायेगा। 

-कपडे में किसी प्रकार के दाग  लग जाये तो बिलकुल भी घबराएं नहीं, टूथ पेस्ट को दाग पर फैलाएं, फिर सामान्य तरीके से रगड़ कर धो लें। 

-किचन के डब्बे अक्सर चिकनाई लिए गन्दे हो जाते हैं, विनेगर या सिरके में कपड़े को भिगो कर डब्बे को पोछे, डब्बे आसानी से साफ हो जायेंगे। 

-पोछा के पानी में एक चम्मच नमक मिलाएँ, जिससे घर की सफाई के साथ -साथ नकारात्मक ऊर्जा की भी सफाई हो जाती है। 

-सेल को दो घण्टे फ्रिज में स्टोर करके इस्तेमाल में लाये, उसकी उम्र दुगनी हो जाती है। 



गुरुवार, 5 जनवरी 2017

अस्तित्व

Astitva in Hindi

आज मैं आप सभी के समक्ष ऐसी बातें रखना चाहती हूँ, जो बेहद ही संवेदनशील है, जिन पर रखे गए विचार शायद कुछ लोगों को पसंद ना आये। पर मैं अपनी बात इस विषय पर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपने विचार  रख रही हूँ, जिसे आप सभी को समझना और उसके भीतर छिपे विचार की गम्भीरता पर सही समय पर सार्थक कदम  उठाना,  बेहद जरूरी  है।

हर माता - पिता के लिए उसकी संतान अमूल्य वरदान होती है , जिसके जीवन को वह अपने हाथों से सजाते हैं व पूर्ण जिम्मेदारी के साथ उनका ख्याल रखते हैं। एक पल भी अपने आप से जुदा नहीं होने देते हैं। अपने संतान की छोटी से छोटी जरूरत को पूरा करना अपना उत्तरदायित्व समझते हैं और उनकी  बड़ी से बड़ी फरमाईश को पूरा करने में अपना जी जान लगा देते हैं। संतान के आँखों में एक आँसू का कतरा भी आये, ऐसा उन्हें गवारा नहीं होता।  यहाँ मैं आप सभी से पूछना चाहती हूँ  कि जिस संतान का हम पूर्ण रूप से ख्याल रखते हैं, क्या हम ऐसा व्यवहार करके उनके साथ धोखा नहीं कर रहे ?  क्या हमने इस बात को कभी सोचा है कि जिस दिन हम  अपनी संतान को छोड़ कर दुनियाँ से रुखसत होंगे, उस दिन क्या वही संतान अपना जीवन जीने में समर्थ हो सकेगी, अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकेगी ? जिस संतान को हम दुःखों की धूप से बचाकर रखते है, वह क्या हमारे ना रहने पर दुखों और मुश्किलों की धूप से ठण्डी छाँव  की तलाश करने में समर्थ हो पायेगी ? कभी नहीं।

शनिवार, 17 दिसंबर 2016

बेसहारा

Besahara in Hindi

एक महिला ब्लू साड़ी में कार से उतर कर बच्चों के  अनाथ आश्रम  में आई। वार्डेन ने महिला को देखते ही कहा," प्लीज, मिसेज़ भट्टाचार्या ! आप यहाँ मत आया करें।" उस महिला के हाथ में कुछ खिलौने व चॉकलेट थे,जो उसने वार्डेन को देते हुए, नमन से मिलने की बात की।  आखिर कौन था नमन ? जिससे मिलने वह महिला कार में आया करती थी और क्यों उस महिला को  वार्डेन, नमन नाम के बच्चे से मिलने नहीं देना चाहती थी ? आखिर क्या वजह थी ? पर  उस दिन महिला के बार-बार कहने पर , वार्डेन ने महिला को एक कापी दी, जो उस बच्चे की थी, जिसे पढ़ कर महिला के आँखों से आंसू छलक गए और वह  नमन से मिले बिना ही लौट गई।

उस कॉपी में लिखा था - "माँ ! आपने मुझे क्यों छोड़ दिया ? मुझे आपकी बहुत याद आती है।  माँ ! मुझे पता है कि मैं आपका बेटा नहीं हूँ, पर मेरी माँ तो आप ही थी, जिसके साथ मैं जीवन भर रहना चाहता था।  आप मुझसे मेरी कमी की वजह से नाराज हो, पर माँ ! आप ही बताओ, इसमें मेरा क्या दोष है ? मैं भी सबकी तरह बातें  करना चाहता हूँ। सबकी बातें  सुनना चाहता हूँ।  पर  माँ मुझे आपके विधाता ने सुनने व बोलने की शक्ति ही नहीं दी तो मैं क्या करूँ माँ ?  मुझे यह बात समझ में आ गई है कि आप मेरी कमी की वजह से मुझे यहाँ छोड़ गई हो। मेरा आपके  जीवन  और परिवार में कोई स्थान नहीं है। इस वास्तविकता को मैंने अब स्वीकार कर लिया है।  मैंने  इन अनाथ बच्चों को अब अपना परिवार बना लिया है। अब यही मेरा परिवार है। अब मुझे दुबारा अनाथ मत कर देना माँ।"

आखिर ऐसा क्या था, जिसने एक बच्चे की सोच को  अपने माँ के प्रति  इतना परिवर्तित कर दिया था ? इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए आइये पहले की कहानी को जानते है... 

शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

आराधना

Aaradhana in Hindi

क्या होती है आराधना ? इससे तो हम सभी परिचित होंगे। सभी के दिल में अपने आराध्य के प्रति सम्मान व प्रेम होता है ,जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है। हम ऐसी शक्तियों को पूजते हैं, जो हमें जीवन जीने की शक्ति प्रदान करते हैं, जो हमें हर मुश्किलों से लड़ने की शक्ति देते हैं और जो हमारे हृदय में प्रेम रुपी पुष्प की बगिया को सींचने में हमारी मदद करते हैं।  हम सभी के दिल में अपने आराध्य की प्रतिमूर्ति विद्यमान रहती है, जिसे सभी अलग -अलग रूपों में पूजते हैं। मैं भी पूजती हूँ, आप भी पूजते होंगे। और इस आराधना से हमने अपने भीतर एक शक्ति का संचार होते हुए भी महसूस किया होगा । 

पर यदि हमारी आराधना हमें थका दे ! हमें भीतर तक तोड़ कर रख दे ! तो क्या ऐसी आराधना उचित है ? यदि हमें आराधना के बदले धिक्कार  मिले ! आराध्य हमें अप्रिय समझे ! हमारी तपस्या का प्रतिफल हमें दुख और आंसू से मिले ! तो क्या हम अपनी आराधना निःस्वार्थ भाव से कर सकेंगे ? आज मैं आपको एक ऐसी आराधिका से मिलवाती हूँ। 

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

काला धन


Kala Dhan

एक भारतीय नागरिक होने के नाते , आज मैं आप सभी से कुछ अपने दिल की बात कहना चाहती हूँ। शायद यह उस हर भारतीय के दिल की बात होगी, जो अपने मातृभूमि से प्रेम करते होंगे। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रधान मंत्री जी के द्वारा हमारे देश के हित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह कदम उस काले धन के विकराल राक्षस को मारने हेतु उठाया गया सार्थक कदम है, जिसकी सूचना 8 नवम्बर की रात को हमारे टी वी चैनलों के माध्यम से हमें पता चली। हम सभी उस वक़्त थोड़े परेशान हो गए कि अब क्या होगा ? हमारी मेहनत की कमाई, जो ज्यादातर लोग 1000 ,500 के नोट में ही रखते हैं- मैंने भी रखी थी- वो  क्या यूँ ही बर्बाद हो जाएगी ? फिर एक आशा की किरण ने हमारे चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी।  फिर हमें पता चला कि इतना बड़ा कदम आखिर क्यों उठाया गया है ? मैं प्रधान मंत्री श्री मोदी जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ- इतने बड़े व सार्थक कदम को उठाने के लिए।

ये बात सच है कि हम सभी को अपने मेहनत के रुपयों को एक्सचेंज करने में थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ,पर उन लोगों के बारे में सोचिये जो ऐसे रुपयों से अमीर बन बैठे है, जिसका  न तो उनके पास हिसाब होता है और ना ही वो सरकार को अपने आय घोषित करते हैं, जिसे सभी 'काला धन' के नाम से जानते हैं। इनकी बहुत लम्बी कतारें हैं। यदि इनको आज पनिश नहीं किया गया तो एक दिन ऐसा आएगा कि ईमानदारी के रुपयों की दुनियां से कद्र ही ख़त्म हो जाएगी, जिसकी भरपाई कर पाना सम्भव नहीं हो पायेगा। मैं सोचती रही कि रातो -रात एक बुद्धिमान व जिम्मेदार देश का मुखिया ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं ? फिर मुझे समझ में आया कि  देश के हित  के लिए इतना बड़ा कदम रातो रात नहीं लिया गया। बल्कि  ये  दिग्गज सरकारी टीम की एक सफल मुहीम है- काले धन को सामने लाने के लिए ।