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सोमवार, 31 जुलाई 2023

खट्टा - मीठा



क्या बात थी ? आज रामू बहुत खुश था। बहुत ही ज्यादा खुश। आज जीवन में पहली बार उसकी हाथों में मीठे, शुद्ध देशी घी से बने पेड़ा का दोना जो था, जिसकी केसर और इलायची खुशबू रामू के तन-बदन को महका रही थी। वह बस एक टक पेड़े के दोने को देखे जा रहा था। 

तभी मालकिन की आवाज सुन कर रामू की तन्द्रा टूटी। मालकिन ने रामू से कहा, "साहब ने जो कागज दिया था, वो कहाँ है ?" रामू को मालिक ने जो कागज दफ्तर से घर ले जाकर देने को कहा था, उसने उसे मालकिन के हाथों में पकड़ाते हुए, वह एक बार फिर से पेड़ों की मिठास की दुनियां में खो गया। वह यही सोच रहा था कि ये पेड़े खाने में कितने स्वादिष्ट होंगे।

तभी मालकिन ने रामू से कहा,"रामू ! बैठे क्यों हो ? खाओ ना। " मालकिन की बात सुन कर रामू को रहा न गया और उसने एक पेड़ा उठाकर मुंह में रख ही लिया। फिर  उस पेड़े की मिठास से रामू का रोम -रोम आनन्दित हो गया। एक पेड़ा खाने के बाद उसको अपने परिवार का ख्याल आया।  

रामू यही  मिठास अपनी पत्नी व बच्चों के मुँह में घोल देना देना चाहता था। क्योकि वह मुश्किल से  दो जून की रोटी का जुगाड़ ही जैसे-तैसे कर पाता  था।  फिर इन पेड़ों का उपहार पत्नी और  बच्चों के लिए किसी विशेष उत्सव में निमंत्रण से कम नहीं था। रामू ने परिवार का ख्याल आते ही पेड़ों को समेटने की चाह में दोने को  उठाया।

तभी मालकिन ने रामू  कहा ,"सारे खा लो। और है।  घर ले जाना बीवी ,बच्चों के लिए " और ये कहते हुए एक और पेड़े से भरा दोना रामू की ओर मालकिन ने  बढ़ाया। रामू पेड़ों को देखकर फूला नहीं समा रहा था। वह यही सोच रहा था कि मालिक ने अगर कागज मालकिन को घर जाकर देने को नहीं कहा  होता तो वह मालकिन के द्वारा दिए गए पेड़ों के उपहार से वंचित रह जाता।

रामू मालिक के घर 5 किलोमीटर पैदल चलकर कड़ी धूप में आया था। आज, हरिया की  साईकिल  पंचर हो जाने के कारण रामू को नहीं मिल सकी थी।   हरिया से साईकिल लेकर  वह अक्सर  घर से मालिक के ऑफिस जाया करता था।  पर अब रामू को तपती धूप का कोई अहसास ही  नहीं था।  मालकिन  के दिए पेड़े उसके लिए  किसी बारिश से कम नहीं थे। रामू आज से पहले मालकिन के इस दयालु स्वभाव से कभी परिचित नहीं हुआ था।

अब रामू के पास एक ही लक्ष्य था। उन पेड़ों को परिवार को खिलाकर उनके चेहरे पर खुशी देखना। रामू ने दोने को समेटा और घर जाने के लिए खड़ा हुआ। अभी वह मालकिन के घर से चार कदम ही चला था कि तभी घर के काम वाली बाई की आवाज रामू के कानों में पड़ी कि "मालकिन इन बचे पेड़ों को  कूड़े में  डाल आऊं ? ये तो आपके किसी काम के नहीं रहे। इसमें बिल्ली ने गंदगी जो कर दी थी,मैं तो इसे खाने से रही।"

कामवाली की बातों  को सुन रामू हत्प्रभ रह गया। वह अब मालकिन की दयालु प्रवृति से शायद परिचित हो चुका था। जो पेड़े अभी तक उसके मुँह में मिठास घोल रहे थे, वे अब इतने कड़वे हो गए थे कि रामू उन पेड़ों की कड़वाहट का अहसास अपने परिवार को नहीं करवाना चाहता था।

रामू ने पेड़ों के दोनों को सड़क के किनारे फेक दिया और रामू सोचने लगा कि अगर  इन पेड़ों को अपनी पत्नी और बच्चों को खिला देता और ये बातें अगले दिन पता चलती तो खुद से कैसे नजरें मिलाता ? और उसकी आँखो से आँसू छलक जाते हैं।

सच ! कैसी विडंबना है ये ? कैसी रेखा है अमीरी और गरीबी की ? अफसोस होता है ऐसी मानसिकता पर। जिसके पास सम्पन्नता है, धन है, वो गरीबो को क्यों इतनी नीची दृस्टि से देखते हैं ? क्या इंसान की कीमत सिर्फ रुपयों से होती है, वरना उसका कोई मोल नहीं ?

Image-Google

शनिवार, 24 जून 2023

ख्वाहिशें !

KHWAHISHE IN HINDI - EK NAI DISHA 2023


सपने कौन नहीं देखता ?  हर शख्स के आँखों में एक सपना होता है - कुछ कर दिखाने का । बहुत से ऐसे Lucky Person  होंगे, जिनके ऊपर अपने माता-पिता व ईश्वर का आशीर्वाद होता है और जो अपने सपने को पूरा कर पाते  हैं। कुछ लोग  जीवन में  परेशानियों  का  सामना करते-करते, उनके सपने उनकी खुद की नजर से धुंधले हो जाते हैं। 

उनके कन्धों पर जिम्मेदारियों का इतना बोझ होता है कि बस उसे निभाने में दिन रात लगे रहते हैं,  अपना सपना पूरा करने की  उनकी बारी आ ही नहीं पाती। ऐसे भी लोग होते हैं, जो सपना देखने से डरते हैं कि वो ना जाने पूरे हो सकेंगे या फिर नहीं। पर क्या हमें सपना देखना छोड़ देना चाहिए ?

हम मन में अपने कैरियर बनाने का सपना लिए बड़े होते हैं और जब निराशा हाथ लगती है तो मन बहुत परेशान हो जाता है। कैरियर बनाने का सपना सच करने के लिए न सिर्फ कठिन परिश्रम बल्कि अच्छी सूझ -बुझ का होना भी बहुत  अनिवार्य है। आगे एक Story पढ़िए, जो इसी तथ्य को दर्शाती  है । 

एक बुजुर्ग महिला की सूई खो गई थी। वो उसे रोड लाइट की रौशनी में ढूंढ रही थी। मगर उसके लाख प्रयत्नं करने के बाद भी उसको सूई नहीं मिल पा रही थी। तभी उस रास्ते से गुजर रहे एक युवक ने उस महिला की परेशानी जानकर वो उस महिला की सूई को ढूंढने लगा। देखते -ही -देखते, गाँव के सभी लोग उस महिला की सूई ढूंढने लगे। फिर भी सूई नहीं मिली। थोड़ी देर के बाद एक युवक ने महिला से पूछा," माता जी ! आपकी सूई वैसे  गिरी कहाँ थी ? हमें बता दीजिये, ताकि सूई जल्दी मिल जाये।" 

मंगलवार, 30 मई 2023

दोस्ती

DOSTI IN HINDI - EK NAI DISHA 2023

दोस्ती हमारे जीवन में बनने वाले उन सभी रिश्तों में सबसे अनूठा, एक अलग प्रकार की अनुभूति कराने  वाला रिश्ता होता है। सभी रिश्ते तो हमें बने बनाए मिल जाते हैं, पर  दोस्ती तो हम स्वयं अपने मन पसंद, दिल को अच्छा लगने वाले साथी से ही करते हैं। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है, जिसमें ऊंच -नीच, जात-पात, गरीबी-अमीरी नहीं होती। एक सच्चा मित्र मिल जाने के बाद जीवन में आने वाली ना जाने कितनी मुश्किलों का समाधान मिलता चला जाता है। 


सबसे अनोखी होती है -- हमारे बचपन की दोस्ती। इसके क्या कहने ! इसमें हर छोटी सी छोटी चीज शेयर करने का अपना अलग ही आनंद होता है। लंच में माँ ने कितनी भी टेस्टी चीज खाने को क्यों ना दीं हों, पर दोस्त के साथ निवाला खाये बिना सब फीका लगता है। वो हमारी पानी की बॉटल, जो हम सभी दोस्तों के ना जाने कितनी बार होठों से लगकर हमारी प्यास बुझाया करती थी, ना जाने उस बॉटल में ऐसा क्या था जो, फिर भी जूठी नहीं होती थी।

दोस्तों के साथ मस्ती करना, गप्पे मारना, घूमना, पढ़ना, खाना-पीना किसे अच्छा नहीं लगता है ? शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो इस अनोखे रिश्ते से अछूता होगा। हम सभी ने, न जाने कितनी शरारतें अपने दोस्तों  के साथ मिलकर की होंगी।  क्या आपने नहीं की हैं ? मुझे पता है, बहुत की हैं। जो याद आते ही, लगता है कि, वो दिन काश ! एक बार फिर लौट आते।  मगर वास्तविकता यह है कि यादें तो बार-बार जीया जा सकता  है, मगर गुजरा जीवन नहीं लौट सकता।