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रविवार, 21 फ़रवरी 2016

छोटी आशाएँ

Chhoti Aashayen in Hindi


सुख और दुःख जीवन के महत्वपूर्ण पहलू है। जब बच्चा  जन्म लेता  है , तो  माँ  को न जाने कितने कष्टों का सामना करना पड़ता है और उसके आँख खोलते ही सारे दुःख ख़ुशी में परिवर्तित हो जाते है। संसार में  जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति इस सुख -दुःख के चक्कर से बच नहीं सका है। जब कभी हम दुखी होते हैं , तो हम बहुत अधिक निराश हो जातें हैं। हमें लगता है कि ये समय कब बीतेगा ,कैसे बीतेगा। 

और जब हम खुशियों के दिनों को एन्जॉय करते है तो हम अपने उन दिनों का स्मरण भी नहीं करना चाहते है। मगर ये सुख -दुःख हमारे जीवन की परछाईयाँ है, जिनसे हम कभी भाग नहीं सकते और जब हम जीवन में आये मुश्किलो से घिर जाते है तो तभी हमें अपने और परायों की परख होती है। क्योकि जो लोग हमारे अच्छे दिनों के  साथी होते है उनमें से  ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं , जो परेशानियों में  हमसे  सारे रिश्ते-नाते तोड़ लेते हैं। 

शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

प्यार के रंग

Pyar Ke Rang


प्यार के कई रंग  होते हैं।  हमारे आसपास अलग -अलग व्यवहार के लोग  रहते है, जिनका स्वभाव एक दूसरे से भिन्न होता है। हम सभी की पसंद और सोच-विचार में भी अंतर होता है। जीवन के  उम्र के दौरान एक ऐसा भी  पड़ाव आता है , हम किसी के प्रति आकर्षित होते हैं, वह व्यक्ति हमें अच्छा लगने लगता है।  इसी आकर्षण को हम  सभी प्यार  मान बैठते हैं।  मगर प्यार क्या है ? किसी का चेहरा ,कद-काठी ,रूप-रँग या फिर सादगी। सभी एक बार इस प्यार का एहसास करना चाहते हैं। प्यार अगर सच्चा हो तो, दुनियाँ  बदल देता है और यदि इसी प्यार में झूठ का पर्दा हो, तो यह  हमारी दुनिआ भी बर्बाद कर देता है।

कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपने इस आकर्षण को प्यार समझ लेते हैं। जब किसी के प्रति हमारे अंदर आकर्षण की भावना आये , तो हमें उस व्यक्ति की  भावनाओं को भी समझना चाहिए , क्योंकि प्यार कभी एक तरफ से नहीं हो सकता और न ही प्यार जोर-ज़बरदस्ती से  हासिल किया जा सकता है।

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

सच्ची आस्था

Sachchi Aastha

मैं कोई राइटर नहीं हूँ और मुझे बहुत बड़ी -बड़ी बातें भी नहीं करनी आती है। मगर इतना मेरे मन में जरूर चलता रहता है कि जब हम निराश होतें हैं या किसी कार्य को नहीं कर पाते है और हमें जब असफलता का सामना करना पड़ता है, तो हमें याद आते है- भगवान ,खुदा या गॉड या हम जिस भी धर्म  को मानते है, उस प्रभु की । और हम जुट जाते है, उन तमाम कार्यो में, जैसे कि चादर चढ़ाना,धागे बांधना ,नारियल चढ़ाना, कैंडल जलाना इत्यादि। क्या इन सभी कार्यों को करने से हमें वो सफलता मिल जाती है ? शायद हाँ ,या नहीं भी। मै नास्तिक नहीं हूँ, मगर ईश्वर पर अँधा विश्वास नहीं करती। मै ये नहीं जानती कि ईश्वर होते है या नहीं। मगर कोई शक्ति जरूर होती है ,जो हमारे आस -पास ही रहती है, जिसके द्वारा सृष्टी का  संचालन होता है।

 हमें अपने कार्यों को करने की जो शक्ति मिलती है, शायद  हम उसी शक्ति को पूजते है। मगर  क्या वो शक्ति बड़े -बड़े चढ़ावे मांगती है ? लोग मंदिरों,मस्जिदों ,गिरजाघरों में जातें हैं, उसी राह  में न जानें कितने जरुरतमंद बैठे रहते है और हम उन्हें अनदेखा करके उन मंदिरों में महँगे-महँगे चढ़ावे चढ़ाते है। मगर जो लोग हाथों को फैलाये हमसे माँगते है, उनका हमें ख्याल नहीं आता। बस यही याद रहता है कि हमारा चढ़ावा जितना बेस्ट होगा , मन्नत उतनी ही  जल्दी पूरी होगी। 

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

डायरी के पन्नों से -1

आजकल हमारे जीवन में न जाने कितनी ही समस्याएं है ,कुछ प्राकृतिक होती है, कुछ अचानक से आ जाती है। जैसे कि हम सभी जब खुश होते है तो सेलिब्रेट करते है और मन में  सबसे  पहले जो बात आती है वो खाने में क्या होगा और घर को कैसे डेकोरेट करें ? इन सभी काम को करते हुए हमारे किसी पसंदीदा कपड़ों पर अगर दाग लग जाता है, तो बस टेंशन  हो जाती है कि वो कैसे  दूर होंगे ? मगर मैं आप सभी के साथ अपनी डायरी के पन्नों से, "कपड़ो से दागों को आसानी से कैसे मिटायेंगे ?" शेयर करना चाहती हूँ। क्योकि मैं नहीं चाहती हूँ कि आपकी खुशियों में कोई दाग -धब्बा रूकावट बने। 

स्याही के दाग -1 .  बाल पेन के दाग को छुडाने के लिए दाग वाले स्थान को दूध में डुबों कर धीरे -धीरे रगड़े।
                       2.  दाग वाले स्थान पर टूथपेस्ट फैलाकर लगा दें और कुछ देर बाद पानी से धो लें।


मोम के दाग -उस स्थान पर क्राफ्ट पेपर रखकर गरम आयरन रगड़ें, मोम पिघलने लगेगा।

हेयर डाई लगने के दाग- दाग लगे स्थान पर प्याज कुछ देर रखें,फिर धों लें।

काजल के दाग -एक कप पानी में एक चम्मच सुहागा मिलाकर ,इसी पानी से दाग वालें स्थान को साफ करें।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

नन्ही आँखों के सपनें

Nanhi Aankhon Ke Sapne


जब हम छोटे होते है, तो हम सभी के मन में कुछ बड़ा कर दिखाने के सपने होतें है। मुझे याद है, जब मैं विद्यालय की शिक्षिका थी, जिसमे नन्हे -नन्हे बच्चे पढ़ते थे, वहां उन  बच्चों से सवाल करने पर ,इन्ही बच्चों में कोई डॉक्टर,तो कोई इंजिनियर, कोई साइंटिस्ट,कोई पुलिस  बनना चाहता था।  वो नन्हे बच्चे सपने देख सकते है, क्योकि उन्हें वास्तविक दुनिया का ज्ञान नहीं होता ,कि बड़ा होना तो आसान है मगर नाम कमाना बहुत ही मुश्किल। 

हमारे देश में शिक्षा का स्तर को बहुत ही ऊँचा  हो गया है, मगर उस शिक्षा को हासिल  कर लेने के बाद काबिल हुए नवयुवक और नवयुवतिओं को उनके लायक कोई  स्थान नहीं मिल पाता। न जाने कितने काबिल और पढ़े लिखे लोग हैं ,जिनको उनकी काबीलियत का स्थान नहीं मिल पाने की वजह से वे बेरोज़गार घूम रहे हैं। लोग वेल एजुकेटेड  होकर दुकान पर बैठने को मजबूर हैं , खुद का व्यवसाय मजबूरी में करते हैं।  

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

हुनर

HUNAR IN HINDI


आज मैं जब सुबह उठी तो मैंने देखा कि एक महिला अपने बच्चे को  साथ लिए गेट पर खड़ी है, खाने के लिए  कुछ मांग रही है ,और वह भजन भी गा  रही थी। उसका बच्चा जिसके  हाथ में एक कटोरा था और  उससे  वो गाने की धुन निकाल रहा था। यकीन मानिये उस धुन को सुन कर  ऐसा  लग रहा था, जैसे की उन्होंने किसी संगीत में महारत गुरुओं से शिक्षा ली है।  उनके पास  सभी खिचे चले  आ रहे थे, बहुत भीड़  लग गई थी। उस  दिन मुझे ये लगा की हुनर कही भी किसी का हो  सकता है। 

जब अपने  हुनर को पहचान  कर हम उसे निखार लेते है, तो यही हुनर हमारी पहचान बन जाता है। न जाने कितनी ही गृहणियाँ  होंगी जिनके अंदर अदभुत गुण  भरे पड़े हैं , मगर उन्हें कोई प्लेटफार्म नहीं मिल पाता।  कभी-कभी अपने हुनर से वो खुद भी अनजान रहती है।

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

सॉरी

SORRY IN HINDI


Sorry .. एक छोटा  शब्द है , जिसका प्रयोग हर कोई जहाँ -तहाँ करता रहता है।  सब की जुबान पर 'सॉरी' जैसे रखा ही रहता है।  यह किसी हाजमे की गोली कम नहीं है ,जिसे हम ज्यादा खाना खा लेने के बाद प्रयोग करते  हैं, ठीक वैसे ही हम जब किसी से टकरा जाते हैं या जब हमसे किसी को कोई तकलीफ पहुँचती है, तो 'सॉरी ' शब्द का प्रयोग करते हैं। हम अपने गलत कार्यों और कटु शब्दों को इस तरह भुला देते हैं, जैसे की यह चीजें हुई ही न हो और वो भी  'सॉरी ' शब्द का इस्तेमाल कर के। यह शब्द किसी की भी बड़ी से बड़ी गलती की भरपाई कर देता है।  यह मेरे ही नहीं आप सभी के मन में आता होगा कि 'सॉरी 'तो बोल दिया अब क्या करूँ ? और आगे बाद जाते हैं।  उन्हें अपनी गलती पर पश्चाताप नहीं होता। क्या किसी को कष्ट पहुंचा देने के बाद 'सॉरी' के पांच लेटर काफी हैं ? 

मैं जब कभी घर से बहार निकलती हूँ , तब देखती हूँ कि  भागम -भाग भरी जिंदगी मैं किसी के पास समय नहीं है कि थोड़ा भी इन्तेजार कर सके।  आजकल की नई  पीढ़ी, जिनके माता -पिता ने  सुविधाएँ तो अपने बच्चों को दे रखी हैं यथा 12 -13 वर्ष की उम्र से ही बच्चे  दो पहिया वाहन  को जैसे-तैसे चलाते  हैं जैसे उनके माता-पिता ने उनको इन सड़कों को भी उन्हें गिफ़्ट कर दिया  है। अगर उनके इसी हरकत से किसी को चोट पहुँचती है , तो वो 'सॉरी' बोलकर आगे निकल जाते हैं।