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सोमवार, 14 मार्च 2016

काश !

Kaash in Hindi

कुछ घटनायें हमारे सामने ऐसी भी आ जाती हैं ,जिनपर भरोसा  करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। जो हमें ये सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या इंसान भी ऐसे हो सकते हैं ?  ईश्वर की सबसे सुन्दर रचना का प्रतिरूप है मानव। मगर हममें से ही कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनकी मानसिकता के बारे में बताया जाय तो विश्वास करना मुश्किल होगा। आज जो कुछ मैं  आपके समक्ष रख रहीं हूँ ,ये कोई कहानी नहीं है, ये मेरी आँखों देखी मर्मास्पद  वास्तविक घटना है, जो  मेरे हृदय को भीतर तक छलनी कर देती है। 

'माँ' एक ऐसा शब्द है ,जिसके नाम में ही पूरी दुनिया समाहित है। एक बच्चे के लिए माँ ही उसकी आदर्श होती है। आज मैं किसी माँ की  भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती हूँ , किँतु इस पोस्ट से किसी के दिल को ठेस पहुंचे तो माफ़ करियेगा। आज मैं एक ऐसी माँ के बारे में बताउंगी, जिसके बारे में  न आपने पहले कभी सुना होगा, न ही देखा होगा। 

शनिवार, 12 मार्च 2016

दस्तक

Dastak in Hindi

अपनी बुद्धि का इस्तेमाल न करके अपने कर्म को परिणाम में परिणत न करने वाले व्यक्ति खुद अपने  साथ  न्याय नहीं करते। हम सदैव ही दूसरों से अपेक्षायें करते रहतें हैं कि  दूसरा व्यक्ति हमारा सम्मान नहीं करता। पर  कभी हमने खुद के अंतर्मन में झाँक कर  कभी देखा है कि  क्या हम खुद के साथ हम न्याय करते हैं ? हमें सबसे पहले खुद का सम्मान करना सीखना होगा और  बाद में हम दूसरें लोगों से उम्मीद करेंगे। 

बहुत से  ऐसे लोग हैं, जो दूसरों की गलत बातों को जानते हुए भी सहन करते जाते हैं। उनका विरोध नहीं करते।   खुद की गलती न होने पर भी खुद को कुसूरवार समझने लगते हैं। और बस मन में सोचते रहते हैं कि कोई क्यों मेरा सम्मान नहीं करता ? मैं कहती हूँ कि जब तक उस व्यक्ति को अहसास नहीं  दिलायेंगे  तो वो अपनी गलतियों का अहसास कैसे कर पायेगा ? कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सम्मान पाने योग्य कार्य कभी नहीं करते मगर सम्मान पाने के इक्षुक होते हैं।  ऐसे लोगो से  मैं कहना चाहती हूँ कि उन दुर्व्यवहारों और दुष्विचारों  को खुद से दूर रखिये, जो हमारे सुन्दर व्यक्तित्व को दूषित करते हैं।

बुधवार, 9 मार्च 2016

बस बहुत हुआ !

 हमारी माँ ,वो प्यारी माँ, जिसे अपने बच्चे में सारी दुनिया दिखाई देती है और हर बच्चे के दिल में अपने माँ के लिए भी बहुत आदर -सम्मान होता है। वो अपनी माँ को कभी दुखी नहीं देख सकता है ,न ही उसके आँखों में आँसू देख पाता  है। अगर जाने -अनजाने हमारी माँ को कोई कष्ट पहुँचाता है, तो हमारा खून खौलने लगता है। हम उस व्यक्ति से लड़ने -झगड़ने को पहुंच जाते है। वह व्यक्ति हमें दुनियां का सबसे बुरा व्यक्ति लगने  लगता है। 

आज मैं एक ऐसी ही माँ के बारे में आप सभी से कुछ कहना चाहती हूँ। जिनके हम सभी बच्चे हैं। आज हमारी माँ रो रही  है ,उनकी आखों में आसूँ है।  वो चीख -चीख कर के जेऐनयू  के छात्रों से  कह रही है ,"मेरे लाल ! मैंने तुझ पर अपना जीवन न्योछावर कर दिया। पर तुमने मुझे क्या दिया ? मैंने तुझे अपना दूध पिलाया था। पर  मेरे लाल ! तेरे रगों में मेरे खिलाफ जहर कैसे  भर गया ?" ये बातें कहने वाली  माँ और कोई नहीं, हमारी भारत माँ हैं। जिनकी आँचल की छाँव में हम सभी चैन की साँस लेते हैं। कुछ चंद लोग हम सभी  की  भारत माँ को गालियां दे रहें हैं। मैं  पूछती हूँ उन नवजवानों  से, जो खुद को ज्यादा समझदार समझते हैं, जिनको लगता है कि वो दुनियां को बदलने का दम  रखते हैं-क्या ऐसे ही दुनियाँ को बदलेंगे ? 

रविवार, 6 मार्च 2016

नई सोच की सुबह

हेलो फ्रेंड्स ! मैं ब्लॉगअड्डा साइट पर एरियल #ShareTheLoad  कैंपेन को सपोर्ट कर  रही हूँ , जिसका उद्देश्य है -हमें उन पूर्वाग्रहों से मुक्त होना है जो की प्रायः हमारे घर में दिखते  हैं और जिन्हें हम एक जेनेरेशन से दुसरे जेनेरेशन को शिफ्ट करते हैं, जैसे कि घर के घरेलू काम-काज (I am joining the Ariel #ShareTheLoad campaign at BlogAdda and blogging about the prejudice related to household chores being passed on to the next generation.) इस सन्दर्भ में मेरे अनुभव व् विचार कुछ इस प्रकार हैं। ... 

हम सभी ने अपने माता-पिता को घर के कार्यों को पूर्ण जिम्मेदारी के साथ करते हुए देखा होगा।  हमनें अपने पिता  को अक्सर माँ से कहते हुए यह भी देखा होगा कि," तुम अपना काम ठीक से किया करो।शर्ट में दाग लगा है, जो तुमने ठीक से धोये नहीं। " और माँ से भी सुना होगा जो पिता जी को हमेशा बिज़नेस अच्छा न चलने के कारण कहती हैं,"आप घर में खर्च कम दे रहे हैं। बच्चों और परिवार की गृहस्थी का भरण-पोषण करना आपकी जिम्मेदारी है।" हम भी शादी होने के बाद उन संस्कारों को जाने-अनजाने ग्रहण कर लेते हैं और पति से बाहर  जा कर कमाने को उनका काम समझते हैं। जबकि हमारे पति घर के कार्यों का उत्तरदायित्व हमें सँभालने को कहते हैं। मगर क्या हम पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने बच्चों के रगो में यही संस्कार खून की तरह नहीं दौड़ा रहे हैं ?

शनिवार, 5 मार्च 2016

डायरी के पन्नों से -2



पिछला पन्ना - डायरी के पन्नों से-1 

आज  मैं आप सभी के साथ कुछ बहुत जरुरी रोजमर्रा की परेशानियों को कम समय में दूर करने की टिप्स लाई हूँ, जिनको आप सभी अपनाकर अपने समय और मेहनत की बचत कर सकते हैं। ये  बहुत ही आसान और घरेलु टिप्स हैं -

  • दही जल्दी जमाना  हो तो, जमाते समय एक साबुत लाल सूखी मिर्च डालने  से जल्दी  जमता है।                                                                                                                                                                    
  • खटाई  में कीड़े न पड़े इसके लिए  थोड़ा  नमक डालें।                                                                                
  • फ्रीजर में डिफ्रास्ट करने के बाद बर्फ निकाल कर बर्तन के भीतर ग्लिसरीन लगाएं। अगली बार डिफ्रॉस्ट करेंगी तो, जमा बर्फ आसानी से निकलेगा।                                                                                          
  • यदि बर्थडे केक पर मोमबत्ती लगाना चाहती हैं, तो मोमबत्ती के नीचे टूथपिक कोंच कर केक पर खड़ा करें। केक ख़राब नहीं होगा।                          
  • मिक्सी के ब्लेड की धार तेज करने के लिए नमक को मिक्सी में पीसेंगे।                                                                                                
  • लाइटर अगर ख़राब हो गया हो तो, उसमें सिलाई मशीन का तेल की कुछ बूँदे डाल देने से वह ठीक हो जाता है।                                                                                                                                                       

शुक्रवार, 4 मार्च 2016

प्यार का अंत

Pyar Ka Ant in Hindi

आज कल हमारे देश ने कितनी तरक्की कर ली है। आज के बच्चे चाँद को मामा नहीं बल्कि एक ग्रह मानते हैं।  विज्ञान की दुनियाँ में हमने न  जाने  कितनी ही उपलब्धियाँ हासिल कर ली हैं। फिर  भी हमारे देश में ऐसे न जाने कितने लोग देखने को मिल जायेंगे, जो अभी तक अंधविश्वास के जाल में फसें हुएं हैं। इस को मानने वाले लोगो को अन्धविश्वास ने इतना जकड़ रखा है कि वो इससे बाहर आना ही नहीं  चाहते हैं। इस अंधविश्वास की परम्परा को कायम रखने में कुछ ढोंगी लोगों का  कार्य होता है, जो इन लोगों को  ठग कर  पैसा कमाते हैं। आज मैं आप के आमने एक ऐसे ही अंधविश्वासी  परिवार की कहानी ले कर आई हूँ।

वाइट शर्ट , ब्लैक पैंट और लाल टाई पहन कर तैयार होकर जय कमरे से बाहर आया और उसने माँ -बाबूजी का आशिर्वाद  लिया। माँ ने उसे दही खिलाई और " बेसट आफ पलक "कह दिया। जय ने माँ को राईट करते हुए बोला," माँ !,"बेस्ट ऑफ लक। " "  माँ ने कहा,"हाँ !अब जा। वरना आज पहले दिन ही  देर न  हो जाए।" जय का ऑफिस में पहला दिन था। सभी से हाय हैलो हुई। फिर जय ने देखा कि सामने से सीमा आ रही है। सीमा,और कोई नहीं, जय के कॉलेज की पुरानी दोस्त थी, जिसे दिल-ही-दिल में वो चाहता था।  सीमा भी उसको देख कर बहुत खुश हुई।  दोनों के बीच बातें शुरू हो गईं।  सीमा भी जय को पसंद करने लगी थी। 

गुरुवार, 3 मार्च 2016

कर्मयोग

Karmyoga in Hindi

वह काम जो तबियत से  किया जाये  ,मन लगाकर किया जाये  और  निष्ठा के साथ किया जाये , तो वह काम कम पूजा ज्यादा बन जाता है। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। जिस कार्य के द्वारा हमारे परिवार का भरण-पोषण अच्छे से हो जाये ,वह काम किसी साधना से  कम नहीं  है। इस सन्दर्भ में मुझे एक कहानी याद आती है, जो हमें यह सिखाती हैं कि वास्तविक योग साधना क्या होती है ?

एक तपस्वी थे। जंगल में तप कर रहे थे। उनको तप  से शक्तियाँ प्राप्त हो गईं। उन्होंने जैसे ही आँख उठा कर पेड़ को देखा , पेड़ पर बैठी चिड़िया जलकर भस्म  गई। उनको अभिमान हो गया की वो बहुत  बड़े योगी हैं।  एक घर में भिक्षा मांगने गए। स्त्री अपने पति, जो बीमार था. उसको खाना खिला रही थी। स्त्री ने कहा ,"अभी ठहरिये ! मैं योगाभ्यास  कर रही हूँ। पूरा करने के बाद आपको भोजन कराऊंगी।" योगी जी ने खिड़की से आँख उठाकर देखा और बोले "तू तो कह रही है कि योग अभ्यास कर रही है, मगर तू  अपने पति को तो रोटी खिला रही थी।" स्त्री बोली,"बाबाजी चुप होकर बैठ जाइये, मैं कोई चिड़िया नहीं जो आप मुझे जला देंगे।" जब वह सेवा करके आई तो उसने बाबा जी को भिक्षा दिया।